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Sunday, July 13, 2025

दहेज हत्या में मां-बेटे को सात वर्ष का कारावास, दस हजार रुपये का जुर्माना

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हरदोई में न्यायालय का फैसला, बेटी को जिंदा जलाने का मामला साबित

फ़र्रूख़ाबाद। दहेज के लोभ में अपनी पत्नी को जिंदा जलाने के सनसनीखेज मामले में न्याय ने अपना फैसला सुना दिया। अपर जनपद न्यायाधीश संदीप तिवारी की अदालत ने दहेज हत्या के मामले में दोषी पाए गए पति शिव कुमार और उसकी मां नन्ही देवी को सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।

यह मामला थाना बिलग्राम क्षेत्र की रहने वाली सितारा देवी द्वारा 18 जून 2020 को पुलिस अधीक्षक को दिए गए प्रार्थना पत्र से सामने आया था। उन्होंने बताया कि लगभग तीन वर्ष पूर्व उन्होंने अपनी पुत्री ममता की शादी शिव कुमार पुत्र भरत सिंह निवासी टिकुरियन नगला, थाना मऊदरवाजा, फर्रुखाबाद से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार की थी। शादी में सामर्थ्य के अनुसार दान-दहेज भी दिया गया।

कुछ ही समय बाद ससुराल पक्ष – पति शिव कुमार, ससुर भरत सिंह, सास नन्ही देवी, ननद रोशनी व ज्योति – द्वारा दहेज में मोटरसाइकिल की मांग की जाने लगी। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो ममता को प्रताड़ित किया जाने लगा। उसे भूखा-प्यासा रखा गया, मानसिक और शारीरिक रूप से उत्पीड़ित किया गया।

सितारा देवी के अनुसार, 1 जून 2020 को दोपहर 12 बजे ममता के ससुरालियों ने मिलकर उसे केरोसिन डालकर आग के हवाले कर दिया। यह घटना ममता के पड़ोसी मुकेश ने ममता के भाई उमेश को मोबाइल पर सूचना दी। जब ममता के परिजन वहां पहुंचे, तो देखा कि ममता गांव के बाहर एक बाग में गंभीर रूप से जली हालत में पड़ी थी और ससुराल पक्ष का कोई व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था।

उसे आनन-फानन में लोहिया अस्पताल लाया गया, जहां से हालत गंभीर होने पर सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। उपचार के दौरान 15 जून को ममता ने दम तोड़ दिया।

ममता ने अस्पताल में उपचार के दौरान दिए अपने बयान में स्पष्ट कहा था कि ससुरालवालों ने ही उसे जलाया है। ममता के इस बयान की वीडियो क्लिप उसके भाई उमेश ने रिकॉर्ड की थी, जो बाद में न्यायालय में अहम साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गई।

प्रशासनिक लापरवाही भी उजागर

सितारा देवी ने बताया कि घटना के दिन ही उन्होंने थाना मऊ दरवाजा में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई टालते हुए इलाज के बाद रिपोर्ट लिखने की बात कही और थाने से भगा दिया। बाद में

साक्ष्यों के आधार पर चार्जशीट दाखिल की गई।
शासकीय अधिवक्ता पंकज कटियार व दीपिका कटियार की प्रभावी दलीलों और मजबूत साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने आरोपी पति शिव कुमार व उसकी मां नन्ही देवी को दोषी ठहराया। दोनों को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई और दस-दस हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया गया।

कानूनी जानकारों के अनुसार, इस प्रकार के मामलों में पीड़िता का मरने से पहले दिया गया कथन बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसे ‘डाइंग डिक्लेरेशन’ कहा जाता है। यह न्यायालय में एक मजबूत साक्ष्य के रूप में मान्य होता है।
न्याय की जीत, समाज को संदेश

यह फैसला दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ एक सख्त संदेश देता है। न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में दहेज के नाम पर हो रही प्रताड़नाएं अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।

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