परिजनों ने विभिन्न आरोप लगाते हुए उठाए गंभीर सवाल
गोण्डा: Gonda जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते hospital में जच्चा-बच्चा की मौत (Mother and child died) हो गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रूपईडीह पर डॉक्टरों की अनुपस्थिति और समुचित इलाज न मिलने का आरोप लगाते हुए मृतका के परिजनों ने बताया कि प्रसव पीड़ा बढ़ने पर महिला को रात में ही पीएचसी रूपईडीह लाया गया, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। स्टाफ नर्स ने अपनी ओर से इलाज शुरू किया, मगर उचित दवाएं और विशेषज्ञ देखरेख न मिलने से नवजात की मौत हो गई और महिला की हालत बिगड़ गई।
स्थिति गंभीर होने पर माया देवी को जिला महिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन वहां भी लापरवाही और संवेदनहीन रवैया सामने आया है। परिजनों का कहना है कि गोंडा पहुंचने पर स्टाफ ने मदद करने के बजाय फटकार लगाई और कह दिया—“यहां डॉक्टर नहीं है, कहीं और ले जाओ।”वहीं मृतका की सास-जनक दुलारी ने आरोप लगाया कि प्रसव के दौरान लगने वाली सारी दवाएं बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ीं, अस्पताल के अंदर से एक भी दवा उपलब्ध नहीं कराई गई।
वही मामला गरमाते हुए कुछ लोगों ने पुलिस को भी सूचना दे दी और मौके पर पुलिस आ धमकी। इसके साथ ही जब मामले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रूपईडीह के चिकित्सा अधिकारी जितेंद्र मिश्र का कहना है कि उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि “रात्रि में डॉक्टर रुकते ही नहीं हैं।”
मृतका माया देवी अपने पीछे तीन मासूम बच्चों को छोड़ गई है— विवेक (8), शुभि (7) और मानसी (5)। पति रोज़ी-रोटी के लिए बाहर मजदूरी करने गया हुआ था। मां की मौत के बाद अब इन बच्चों का भविष्य अंधेरे में डूब गया है।