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Saturday, August 9, 2025

11 जवानों समेत 100 से ज्यादा लापता, 400 का रेस्क्यू

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– त्रासदी को लेकर पीएम मोदी ने दिल्ली में उत्तराखंड के चार सासंदों से मुलाकात की।
– केरल के 28 टूरिस्ट का सुराग नहीं
– उत्तरकाशी में पिछले 2 दिन से बारिश हो रही है

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले में बादल फटने से धराली, हर्षिल और सुखी टॉप इलाके भीषण त्रासदी की चपेट में आ गए हैं। इस आपदा में अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि एक शव बरामद किया गया है। इस त्रासदी के बाद से 100 से ज्यादा लोग लापता हैं, जिनमें सेना के 11 जवान भी शामिल हैं। आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। अब तक 400 से अधिक लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है, जबकि बाकी फंसे हुए लोगों को निकालने का प्रयास लगातार जारी है।

एनडीआरएफ डीआईजी शहीदी ने बताया कि लापता 11 सैनिकों की तलाश युद्धस्तर पर चल रही है। घटनास्थल पर लगातार मलबा गिरने और लैंडस्लाइड के कारण राहत कार्यों में काफी बाधा आ रही है। ऋषिकेश-उत्तरकाशी स्टेट हाईवे जगह-जगह से टूट गया है, वहीं भटवाड़ी में उत्तरकाशी-हर्षिल मार्ग पूरी तरह बह गया है। इन हालातों में प्रभावित इलाकों में हेलिकॉप्टर से खाद्य सामग्री और दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं।

धराली गांव, जो गंगोत्री तीर्थ यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है, वहां हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। खीर गंगा नदी में पहाड़ों से आए भारी मलबे ने बाजार, होटल और मकानों को अपनी चपेट में ले लिया। मात्र 34 सेकेंड में आई इस आपदा ने पूरे गांव को तहस-नहस कर दिया। धराली में करीब 30 फीट तक मलबा जमा हो चुका है। बाजार की कई दुकानें और आसपास के मकान जमींदोज हो गए हैं। केरल से आए 28 पर्यटकों का एक समूह भी इस हादसे के बाद से लापता है। परिवारजनों ने बताया कि एक दिन पहले उन्होंने गंगोत्री की यात्रा की बात की थी, लेकिन भूस्खलन के बाद से उनका कोई पता नहीं चल सका है। प्रशासन का दावा है कि राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई जा रही है और जल्द ही लापता लोगों को ढूंढने के प्रयासों में सफलता मिलेगी। फिलहाल उत्तरकाशी जिले के लोग त्रासदी से उबरने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं।

हिमालय की दरार पर बसा है धराली, 10 साल में तीसरी बार तबाह हुआ

धराली गांव में 1864, 2013 और 2014 में भी पहाड़ पर बादल फटे थे। इससे खीर नाले ने तबाही मचाई। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने तीनों ही आपदाओं के बाद धराली गांव को कहीं और बसाने की सलाह राज्य सरकार को दी।यह भी बताया कि आपदा के लिहाज से धराली टाइम बम पर बैठा है, लेकिन इसे शिफ्ट नहीं किया गया।

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती बताते हैं कि धराली ट्रांस हिमालय (4 हजार मी. से ऊपर) में मौजूद मेन सेंट्रल थर्स्ट में है। यह एक दरार होती है, जो मुख्य हिमालय को ट्रांस हिमालय से जोड़ती है। ये भूकंप का अति संवेदनशील जोन भी है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है, वो 6 हजार मी. ऊंचा है, जब भी वहां से सैलाब आता है, धराली को तहस-नहस कर देता है। करीब 6 महीने पहले पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिर रहा था, लेकिन ये अटक गया। संभवत: इस बार वही हिस्सा टूटकर नीचे आया है।

1500 साल पुराना कल्प केदार मंदिर भी ध्वस्त

आपदा में धराली में स्थित प्राचीन कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दफन हो गया। भागीरथी नदी किनारे स्थित 1500 साल पुराना यह मंदिर पंच केदार परंपरा से जुड़ा है। स्थानीय लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र था। हरिद्वार में शिवालिक पर्वत श्रृंखला में भारी बारिश के कारण हुए लैंडस्लाइड के चलते काली मंदिर के पास अपर रोड पर रेलवे ट्रैक बाधित हुआ है। पहाड़ का मलबा पटरियों पर आ गिरा, जिससे ट्रेनों के आवाजाही बंद है। यहां पर मलबा हटाया जा रहा है।

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