– बरसात में भी ‘कागज़ी मज़दूरी’ जारी, एक ही फोटो से चढ़ रही हाजिरी
कमालगंज | (संवाददाता) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को रोजगार का सबसे पारदर्शी माध्यम माना जाता है, लेकिन फर्रुखाबाद जिले के कमालगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत सितौली में यह योजना भ्रष्टाचार की शिकार हो गई है। यहाँ सरकारी फाइलों में रोजाना 86 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की जा रही है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि गांव में मनरेगा का कोई कार्य स्थल मौजूद ही नहीं है।
बारिश के इन दिनों में जहां मिट्टी दलदल में तब्दील है, वहां न कोई गड्ढा खुदाई हो रही है, न पथ निर्माण, न ईंट ढोने वाला कोई मजदूर नज़र आता है। बावजूद इसके, रिकॉर्ड में दर्जनों मजदूरों को प्रतिदिन काम करते हुए दिखाया गया है।
एक ही फोटो बार-बार, अलग-अलग तारीखों की हाजिरी में इस्तेमाल
सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि एक ही कार्यस्थल की फोटो को बार-बार इस्तेमाल किया गया है। उसमें भी जो मजदूर फोटो में हैं, वह और जिनके नाम से भुगतान हो रहा है, वो अलग-अलग लोग हैं। यानि फोटो महज दिखावा है, असल में मजदूर मक्का की फसल के खेतों में काम कर रहे हैं या कहीं बाहर रोजी-रोटी की तलाश में गए हुए हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत सचिव, रोजगार सेवक और ब्लॉक अधिकारी मिलकर यह घोटाला चला रहे हैं। मजदूरी की राशि सीधे उन खातों में पहुंचाई जा रही है जिनका कोई वास्ता मनरेगा कार्य से नहीं है। ये मजदूर या तो खेत में निजी काम कर रहे हैं या दूसरे जिलों में मजदूरी पर गए है।
ग्रामीणों ने खुलासा किया कि पंचायत और ब्लॉक स्तर के अधिकारी मोटा कमीशन लेकर आंखें मूंदे बैठे हैं। जब इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ तो न कोई अधिकारी सामने आया, न ही किसी ने जांच की बात कही। स्थानीय प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन, खंड विकास अधिकारी और पंचायत निरीक्षण इकाई इस खुलासे के बाद सक्रिय होगी?
या फिर यह बरसाती भ्रष्टाचार यूं ही चलता रहेगा और सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेंगी?
अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला पूरे ब्लॉक में फैले एक संगठित घोटाले की ओर इशारा करता है, जिसकी परतें खुलना अभी बाकी हैं।