ब्लॉक कमालगंज बना भ्रष्टाचार का गढ़
फर्रुखाबाद | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में कार्यरत अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों (एपीओ) की तबादला नीति अब सवालों के घेरे में है। जहां लेखा सहायकों और कंप्यूटर ऑपरेटरों के तबादले हाल ही में कर दिए गए, वहीं वर्षों से ब्लॉकों में जमे एपीओ अब भी सुरक्षित जोन में बने हुए हैं। खासकर कमालगंज ब्लॉक में मनरेगा भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है, लेकिन इन हालातों के बीच भी जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी और मुख्य विकास अधिकारी डॉ अरविंद मिश्रा की प्रशासनिक दक्षता और कार्यशैली की सराहना चौतरफा हो रही है।
प्रधानों का कहना है कि उच्च अधिकारियों को गुमराह कर वसूली की जा रही है।मनरेगा में वर्षों से एक ही स्थान पर जमे एपीओ अधिकारियों का तबादला न होने से यह आरोप लगने लगे हैं कि कुछ अधिकारियों को ऊपर से संरक्षण प्राप्त है। सूत्रों के अनुसार, एक एपीओ ने खुद स्वीकार किया कि, जिले के अधिकारी पूरी तरह सेट हैं, एपीओ का तबादला आसान नहीं है। यह बहुत ही प्रभावशाली पद है।
जबकि दूसरी ओर कई ऐसे कंप्यूटर ऑपरेटर और लेखा सहायक हैं, जिनका नियमित रूप से स्थानांतरण किया जा रहा है। इससे प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
कमालगंज ब्लॉक में मनरेगा योजनाओं को लेकर भयंकर भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। आरोप है कि ग्राम प्रधानों से जबरन वसूली की जा रही है। कार्य की स्वीकृति से लेकर भुगतान तक पूरा सिस्टम हिस्सेदारी पर टिका है।
एक ग्राम प्रधान ने बताया, बिना निर्धारित पैसा दिए न तो फाइल आगे बढ़ती है, न मजदूरों को भुगतान होता है। यह सारा खेल एपीओ गौरव सिंह की मिलीभगत से चल रहा है।
ब्लॉक में त्राहि-त्राहि मची है, लेकिन अफसरशाही अब तक मौन है इन चुनौतियों और विभागीय गड़बड़ियों के बावजूद, जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी और मुख्य विकास अधिकारी डॉ अरविन्द मिश्रा की कार्यशैली की चारों ओर सराहना हो रही है। जनहित में लिए गए फैसलों, कड़ी निगरानी और योजनाओं की गुणवत्ता पर उनकी सक्रिय भूमिका ने जनता में भरोसा कायम किया है।
डीसी मनरेगा कपिल कुमार ने भी स्पष्ट किया है कि जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी से वार्ता कर उनके निर्देशानुसार जल्द ही एपीओ के स्थानांतरण किये जायेंगे।