प्रत्येक व्यक्ति से 25-25 लाख रुपये की उगाही की गई: पल्लवी पटेल
लखनऊ(प्रशांत कटियार)।उत्तर प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा विभाग में हुए प्रमोशन घोटाले के दस्तावेज सार्वजनिक हो गए हैं, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, विभागीय प्रमोशन के जरिए सीधी भर्ती के पदों को अंदरखाने निपटाया गया, जबकि देशभर में आदर्श आचार संहिता लागू थी।
इस मामले में, मंत्री आशीष पटेल के ओएसडी ने उन्हें एक पत्र लिखकर चेतावनी दी थी, लेकिन मंत्री ने उनकी सलाह को अनसुना कर दिया। विभागीय प्रमोशन कमेटी के चेयरमैन तत्कालीन प्रमुख सचिव देवराज थे, जो वर्तमान में स्टेट जीएसटी, नियुक्ति, और कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
मंत्री आशीष पटेल ने इस घोटाले के चलते इस्तीफा देने की पेशकश की है, लेकिन यूपी सरकार ने अब तक इस मामले पर अपना आधिकारिक पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। इस बीच, कोई उच्च स्तरीय जांच या विजिलेंस इंक्वायरी का आदेश भी नहीं दिया गया है, लेकिन यह मामला मीडिया में प्रमुखता से चर्चा का विषय बना हुआ है।
राजनीतिक हलकों में इस घोटाले को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। सोमवार को सिराथू विधायक पल्लवी पटेल ने इस मुद्दे पर विधानसभा में बहस करने का प्रयास किया, लेकिन अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया। इसके बाद पल्लवी पटेल ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में विभागाध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति को लेकर आरोप लगाया है। उनका दावा है कि नियुक्तियों में हेर-फेर की गई है। वर्तमान नियमावली को दरकिनार कर पुरानी नियमावली के आधार पर भर्ती करके घोटाला किया गया है। पल्लवी ने कहा है कि भर्ती 2017 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से उत्तर प्रदेश चयन सेवा आयोग के तहत होती है लेकिन अभ्यर्थियों की हक को मारकर पदोन्नति के आधार पर पद भर दिए गए। प्रत्येक व्यक्ति से 25-25 लाख रुपये की उगाही की गई। और बह धरने पर बैठ गई।
अब देखने वाली बात यह है कि क्या यूपी सरकार इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कोई ठोस कदम उठाएगी, या मामला इसी तरह ठंडा पड़ जाएगा। विपक्ष के हमलों के बीच, यह मामला राजनीतिक गलियारों में भी महत्वपूर्ण बन गया है।