-कमालगंज ब्लॉक का मामला, पंचायत सहायक व एपीओ पर गंभीर आरोप, जल्द हो सकता है बड़ा खुलासा
फर्रुखाबाद, कमालगंज: सरकार द्वारा गरीब मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को भ्रष्टाचार की दीमक चाट रही है। ब्लॉक कमालगंज के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रूनी चुरसाई में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जहाँ पंचायत सहायक बृजेश यादव व एपीओ (असिस्टेंट प्रोग्राम ऑफिसर) की मिलीभगत से फर्जी हाजिरी लगाकर लाखों रुपये का गबन किया गया।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पंचायत सहायक बृजेश यादव ने कथित रूप से कई स्थानीय लोगों को काम पर खड़ा कर उनकी तस्वीरें खींची, और उन तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी हाजिरी लगाकर मजदूरी की रकम निकाल ली। इन पैसों को संबंधित लोगों के खातों में डलवाकर उनमें से मामूली रकम उन्हें देकर बाकी रकम खुद और कुछ अन्य अधिकारियों के साथ बांट ली जाती है।
घोटाले में शामिल जिन नामों का उल्लेख किया जा रहा है, उनमें विष्णु दयाल, संजीव, राजू पेशकार, आनंद, ओमकार सहित अन्य ग्रामीण शामिल हैं, जिनके खातों का कथित तौर पर उपयोग हुआ।
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि जब कोई व्यक्ति इस भ्रष्टाचार को लेकर सवाल करता है, तो अधिकारी कहते हैं कि “हमारा भी ठेका होता है”, और मजदूरों को या तो चुप करा दिया जाता है या मामूली पैसे थमाकर बहला दिया जाता है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में पूरा भुगतान दिखाया जाता है, मजदूरों को हकीकत में कुछ भी हाथ नहीं लगता।
मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को काम देकर उनका जीवन सुधारना है, लेकिन इस मामले में यही वर्ग सबसे अधिक पीड़ित हो रहा है। कई ऐसे परिवार हैं जिनके नाम पर पैसा निकाला गया लेकिन उन्हें ना काम मिला ना मेहनताना। यह गरीबों के अधिकारों पर सीधा हमला किया
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सिर्फ रूनी चुरसाई ही नहीं, कमालगंज ब्लॉक की अन्य ग्राम पंचायतों में भी इसी तरह का भ्रष्टाचार चल रहा है, और जल्द ही कई और मामलों का खुलासा हो सकता है। यदि जांच ठीक से हो तो यह करोड़ों के घोटाले में तब्दील हो सकता है।
सरकार से मांग: हो उच्च स्तरीय जांच, दोषियों पर सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों और स्थानीय सामाजिक संगठनों ने डीएम फर्रुखाबाद और जिला पंचायत राज अधिकारी से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, दोषियों पर मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई हो, और वास्तविक मजदूरों को उनका वाजिब हक दिया जाए