फर्रुखाबाद। सरकार द्वारा प्राइमरी एवं जूनियर विद्यालय में बच्चों की संख्या को देखते हुए जिले के लगभग 350 विद्यालयों को बंद करने के फैसले के विरोध में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा और और फैसले पर पुनर्विचार करते हुए विद्यालयों को यथावत संचालित रखने की मांग की।
गये ज्ञापन में कहा गया कि विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम होने का मुख्य कारण बुनियादी सुविधाओं की कमी है। भवन जर्जर है, फर्नीचर नहीं है, शौचालयों की हालत खराब है, शिक्षक अपर्याप्त हैं ऐसी स्थिति में बच्चे स्वाभाविक रूप से तयस्कूल नहीं आते। इस स्थिति के लिए बच्चों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।ऐसे में विद्यालयों को बंद करने की बजाय, उनका कायाकल्प किया जाना चाहिए।
ज्ञापन में कहा गया कि यदि सरकार भवनों का नवीनीकरण कराए, आवश्यक स्टाफ और संसाधन मुहैया कराए, तो निश्चित रूप से इन स्कूलों की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी होगी। इसके साथ ही शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है, और सरकार का कर्तव्य है कि यह इस अधिकार की रक्षा करे। विद्यालय बंद करना इस अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
कहां गया कि यह फैसला समाज के सबसे कमजोर वर्ग पर सीधा प्रहार है, जिससे उनकी पीढ़ियाँ प्रभावित होंगी। यह न केवल सामाजिक असमानता को बढ़ावा देगा, बल्कि राष्ट्र की आधारशिला को भी कमजोर करेगा।
ज्ञापन में मांग की गयी कि जनपद के 351 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद / मर्जर करने के निर्णय को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।विद्यालयों में आवश्यक बुनियादी सुविधाएं, शिक्षक और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए ताकि वास्तविक कारणों की पहचान हो और उन्हें दूर किया जा सके। मांगे न मानने की स्थिति में धरनि प्रदर्शन की चेतावनी दी गयी है।
ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से कन्हैया वर्मा प्रदेश सचिव, रालोदा से अजीत गंगवार , निषाद पार्टी के अध्यक्ष अनिल कश्यप सुहेलदेव पार्टी के जिला अध्यक्ष अतुल बाथम आदि के नाम शामिलहैं।


