– अवधेश मिश्रा, अनुपम दुबे जैसे अपराधियों ने समाज, क़ानून, धर्म सभी का किया अपमान!
– सच्चाई जान ले समाज, मैंने सदैव अपराध और अपराधी को बेनकाब किया!
✍️ शरद कटियार, मुख्य संपादक व प्रकाशक — दैनिक यूथ इंडिया, निदेशक- एस.एम.के.प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड।
आज जब बात कानून व्यवस्था को लेकर हो रही है,जब बात जीरो टॉलरेंस नीति पर उंगली उठाने की हो गई है,जब बात सपा प्रमुख अखिलेश जी के पीडीएफ मॉडल की हो रही है तो फिर बात और भी होनी चाहिए,कई रहस्य से पर्दाफाश भी होना चाहिए। बात सन 2013 से शुरू हुई जब उत्तर प्रदेश में श्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उस दौर में मैं उत्तर प्रदेश के जनपद फर्रुखाबाद से प्रकाशित दैनिक सांध्य यूथ इंडिया का प्रकाशक और संपादक हुआ करता था।
हालांकि अब तो यह अखबार राज्य स्तर पर पहुंच चुका है और फर्रुखाबाद के अलावा लखनऊ से भी प्रतिदिन प्रकाशित होने के साथ-साथ मासिक पत्रिका साप्ताहिक समाचार पत्र वेब संस्करण और यूट्यूब चैनल के रूप में भी लाखों लोगों के बीच है।उस दौर में जनपद फर्रुखाबाद और आसपास के जनपदों में ही प्रसार हुआ करता था। प्रत्येक जिले में एक प्रभावशाली नेता पावर में था।
प्रोफेसर रामगोपाल सिंह यादव के खास रिश्तेदार पड़ोसी जनपद एटा की अलीगंज विधानसभा के विधायक श्री रामेश्वर सिंह यादव वर्ष 2014 मे फर्रुखाबाद लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए सपा के प्रत्याशी थे,लेकिन उन्हें उनके बेटे डॉक्टर सुबोध यादव की नादानी के चलते फर्रुखाबाद के कुख्यात माफिया डॉक्टर अनुपम दुबे कचहरी फतेहगढ़ के दबंग नान प्रैक्टिशनर वकील संजीव परिया इनके साथ ही नान प्रैक्टिशनर शातिर आर कुख्यातउस दौर के जाने-माने पुलिस के बड़े दलाल सपा समर्थक अवधेश मिश्रा सपा नेता और दबंग भू माफिया देवेंद्र सिंह यादव जग्गू,योगेंद्र सिंह यादव चन्नू आदि दबंगों ने अपने घेरे में ले लिया था।
मेरा तनाव हमेशा ही अपराध और अपराधी से रहा है मेरी कलम सदैव भ्रष्टाचार और अपराध के विपरीत चली है उस दौर में जनपद फर्रुखाबाद एटा कन्नौज मैनपुरी कासगंज जनपदों में खुलेआम भूमिया गिरी के साथ-साथ फर्जी मुकदमे और खास कर अधिकारियों तक पर फर्जी बलात्कार और गैंगरेप के मुकदमे लगा दिए जाते थे।जनपद फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर एक संदिग्ध ट्रेनिंग का भी आयोजन होता था जिसमें करीब 10000 गैर प्रांत के युवक( उत्तर प्रदेश को छोड़कर ) शामिल होते थे… मैंने जमीनों पर कब्जो,फर्जी मुकदमों और इस ट्रेनिंग को लेकर सत्य परक खबरों का प्रकाशन शुरू किया था,तो मुझे इस गैंग से धमकियां मिलने लगी,क्योंकि उन्हें सपा नेता रामेश्वर सिंह यादव उनके बेटे सुबोध यादव का बड़ा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।और उन्हें प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री मती अनीता सिंह का।
सपा प्रमुख श्री अखिलेश यादव आज पी.डी.ए.की वकालत कर रहे हैं,हम उन्हें आज भी अपने अखबार में विधिवत और प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं लेकिन उस दौर में जिन लोगों की जमीनों पर कब्जे होते थे या फिर जिन पर कचहरी के माध्यम से फर्जी मुकदमे लिखाए जाते थे,वह भी ज्यादातर पी. डी. ए. से ही ताल्लुक रखते थे,जिनमें फर्रुखाबाद के कादरी गेट क्षेत्र निवासी श्री संतोष शाक्य,श्री मथुरा पाल, प्रधानाचार्य श्री प्रभात यादव, श्री राहुल यादव बंगाली, श्री उपेंद्र यादव, सेवानिवृत्ति फौजी श्री यादवेंद्र सिंह यादव 75 वर्षीय बुजुर्ग श्रीमती नीलम कटियार, श्री राजेंद्र अहिरवार, श्री राजेंद्र जाटव जैसे नाम प्रमुख होते थे।हालांकि कई ब्राह्मण समाज के भी लोग उस प्रताड़ना के शिकार होते थे।
उनके गैंग में खालिद उर्फ राजू खान भी शामिल थे,जिनका उस दौर में आतंकवादियों से भी संपर्क बताया जाता था।और वर्ष 2014 में मुझे कई धमकियां भी मिली यहां तक की मेरी यूथ इंडिया की वेबसाइट तक को आतंकी संगठनों ने हैक कर लिया था,जिसकी विधिवत फतेहगढ़ पुलिस में पंजीकृत शिकायत भी हुई थी। संदिग्ध ट्रेनिंग संचालित होने के दौरान जनपद में रेलवे स्टेशन सहित दो जगह बम भी बरामद हुए थे जिला खतरे में था मैंने अपने अखबार में उसे ट्रेनिंग से संबंधित खबरों का प्रकाशन किया था जिससे विचलित होकर आराधना ट्रेडिंग कंपनी की ओर से ट्रेनिंग के संरक्षक शातिर अवधेश मिश्रा ने मुझे विधिक नोटिस भी दिया था। मेरी शिकायत पर मिलिट्री इंटेलिजेंस ने भी जांच की थी, लेकिन इस गैंग के खौफ के कारण वह जांच भी पूरी नहीं हो सकी थी संजीव परिया जो कि इस गैंग के प्रमुख संरक्षक मे से एक थे, वह खुद इतने ताकतवर थे जो सेना का सरकारी बंगला कब्जा किए थे, भारत के रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली ने जिले के सांसद श्री मुकेश राजपूत को उनकी पैरवी के लिए चेतावनी भी दी थी, जिसके चलते वह जांच खत्म कर दी गई थी। हालांकि भाई संदिग्ध ट्रेनिंग हुई जांचों के कारण उखड़ गई थी।
जब मैं उनके दबाव में नहीं आया तो फरवरी माह 2015 में अखंड प्रताप सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी सपा नेता योगेंद्र सिंह यादव चन्नू ने मुझे फोन पर जान से मारने की धमकी दी जिसकी शिकायत मैंने तत्कालीन जिलाधिकारी श्री एन. के. एस. चौहान( जो वर्तमान में सेवा निवृत होने के उपरांत )माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के विशेष कार्य अधिकारी हैं,उन्हें बताई उनके कहने से मैंने उस समय के पुलिस अधीक्षक श्री विजय यादव को बताया तो एस. पी. के आदेश मेरी तहरीर पर धमकी देने वाले सपा नेता चन्नू के खिलाफ तीन दिन बाद मुकदमा पंजीकृत हुआ। यह बात फतेहगढ़ कचहरी के बार एसोसिएशन सचिव जो अपनी दबंगई से करीब 19 साल से अपने पद पर काबिज थे उन्हें और उनके द्वारा गठित अनुशासन समिति के अध्यक्ष( वर्तमान में आजीवन सजा मे जेल में निरुद्ध और यूपी के टॉप- टेन घोषित माफिया ) डॉ. अनुपम दुबे एडवोकेट, अवधेश मिश्रा को अच्छी नहीं लगी मेरे विरुद्ध फतेहगढ़ कचहरी में इस बात की मांग को लेकर हड़ताल कर दी गई कि चन्नू यादव पर दर्ज मुकदमा खत्म किया जाए।
जिला प्रशासन ने मेरे और चन्नू -जग्गू यादव के खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई कर दी,कचहरी में जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारों के साथ प्रशासन के खिलाफ अराजकता शुरू हो गई तुरंत और मार्च 2015 में ही मेरे ऊपर सबसे पहले खालिद उर्फ रज्जू खान की जुगत से माफिया अनुपम दुबे उसके साथी संजीव परिया व साथी अवधेश मिश्रा ने गैंगरेप और अपहरण का आरोप लगवाकर न्यायालय में उसी क्रम में मुकदमा डाल दिया जिस क्रम में पूर्व में जिले में तैनात रहे एआरटीओओ, एडीएम नगर मजिस्ट्रेट समेत कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा डाले गये थे। इसी क्रम में अवधेश मिश्रा ने अपने साथी नॉन प्रैक्टिशनर वकील और तत्कालीन सपा नेता उमेश यादव के शरीर पर छर्रे प्लांट कराकर मोहम्मदाबाद कोतवाली का चार्ज देख रहे एचसीपी रामजीवन यादव से अपने संरक्षण दाता सपा नेता सुबोध यादव से दबाव डलवा कर मेरे वह पत्रकार साथियों पर 307 का फर्जी मुकदमा अपराध संख्या( 106 /2015,) 22 मार्च 2015 की देर रात करीब 1:30 बजे लिखवा दिया 27 मार्च 2025 को न्यायालय के आदेश पर मेरे विरुद्ध गैंगरेप और अपहरण का मुकदमा थाना राजेपुर में दर्ज करवा दिया गया।
इसी महीने संजीव परिया द्वारा मेरे विरुद्ध फतेहगढ़ न्यायालय में मानहानि के 12 क्रिमिनल केस एक साथ दर्ज करा दिए गए,और फिर यहां से मेरे विरुद्ध लगातार फर्जी मुकदमों का बाढ़ सी आ गई,फर्जी शिकायतें रोज होने लगी,दर्जनों फर्जी बलात्कार और गैंगरेप के आरोप लगाए गए जो कि दर्ज नहीं हो सके, इसी क्रम मेरे विरुद्ध वकील अवधेश मिश्रा ने षड्यंत्र कर थाना मऊ दरवाजा में पूर्व से दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 309 सन 2015 की वादिनी मुकदमा को माननीय न्यायालय में पेश कर सितंबर 2016 को फिर से मेरे और राहुल यादव बंगाली के ऊपर अपहरण और बलात्कार का आरोप लगवा दिया। हालांकि इन दोनों मुकदमों में पुलिस ने निष्पक्ष विवेचना भी की और बाद में दोनों मुकदमों की वादिनी ने माननीय न्यायालय में पेश होकर मुझे व साथियों को बरी किया। इन आतताइयों का आतंक यही नहीं थमा, मुझ पर दबाव बनाने के लिए मेरी मां तक के ऊपर फर्जी जालसाजी का मुकदमा अवधेश मिश्रा ने अपने साथी सत्यनारायण द्वारा न्यायालय के आदेश पर लिखवा दिया जिसमें मेरे परिवार के करीबी रहे भाजपा विधायक श्री सुशील शाक्य जी की धर्मपत्नी और तमाम युवाओं को अभियुक्त बना डाला, जो पुलिस की जांच में झूठा पाया गया और दो बार हुई विवेचना के बाद खत्म हुआ।
मेरे ड्राइवर के दामाद का यह लोग अपहरण कर ले आये उससे जबरिया शराब पिला कर नशे में मेरे और ड्राइवर के परिवार के विरुद्ध कोतवाली फतेहगढ़ में झूठी एनसीआर दर्ज कराई बाद में जब उसने बात नहीं मानी तो उसे पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया।खुन्नस मे ड्राइवर की पुत्री को अगवा कर गैंगरेप का शिकार बनाया।मेरे ड्राइवर पर अवधेश मिश्रा ने साथियो सहित प्राण घातक हमले से मारना चाहा दोनों मामलों में ब मुश्किल रिपोर्ट तो लिखी गई लेकिन इस गैंग के प्रभाव के कारण दोनों मुकदमों में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट न्यायलय प्रेषित की।हालाँकि मामला अभी भी न्याय की आस में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित है। मैं इस पूरे गैंग से लगातार लड़ता रहा मामला बार काउंसिल उत्तर प्रदेश और भारतीय प्रेस परिषद नई दिल्ली तक पहुंचा, सुनवाईया हुई हालांकि बार काउंसिल उत्तर प्रदेश में कदाचार का दोषी मानते हुए अनुपम दुबे संजीव परिया सहित उनके 5 साथियों को 10 वर्ष के लिए वकालत के पेशे से डिवार कर दिया।
इस बीच फर्जी मुकदमों की बाढ़ ने मेरा और मेरे परिवार का जीना मुश्किल कर दिया, अखबार का वितरण न होने दें अंग्रेजी हुकूमत की तरह पत्र वितरकों संग मारपीट कर अखबार छीन फाड़ डालने, संपादकीय कार्यालय घेरने, और मेरे खुद पर प्राण घातक हमलों जैसी घटनाएं को झेला, इसके साथ ही मेरे पत्रकार साथियों तक का भी जीना मुश्किल था मोहम्मदाबाद कोतवाली में धारा 307 के दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 106 सन 2015 में तो पुलिस ने उत्पीड़न की इंतहा कर दी थी, ना जाने कितनी बार दबिशे दी और तो और विवेचना कर रहे दरोगा भीम सिंह जावला ने तो सपा नेताओं की चाकरी और दबाव के चलते इस मुकदमे में नियमों को तार-तार करते हुए एक ही मुकदमे में तीन माह के भीतर दो बार मेरे वह मेरे साथी अंकुश गौरव सक्सेना एडवोकेट के घर की कुर्की कर डाली दूसरी बार की कुर्की में नियम बिरुद्ध तरीके से सपा नेताओं के दबाव में सीधे-सीधे घर की लूटपाट की गई परिजनों को डराया धमकाया गया,खिड़की दरवाजे तोड़े गए।उद्देश्य सिर्फ इतना था की गैंग के काले कार्यकलाप को मैं अपने अखबार में प्रकाशित न करूं धीरे-धीरे समय चक्र चलता रहा उत्तर प्रदेश सूचना निदेशालय की हाई कमेटी में मेरा मामला पहुंचा लेकिन बैठक इसलिए नहीं की गई की सरकार बदनाम हो जाएगी।
तत्कालीन पुलिस महानिदेशक श्री ए. के. जैन द्वारा मेरे मामले की संपूर्ण जांच के लिए एक एस.आई. टी. का गठन किया गया, एसआईटी ने जांच की,उसके मुखिया थे निरीक्षक श्री हेमंत त्यागी, जिन्होंने इस गैंग का पूरा फर्जीबाडा पकड़ लिया था, रेलवे रोड स्थित सूर्या होटल में तमाम संभ्रांत लोगों के बयानात भी दर्ज हुए थे लेकिन मेरा दुर्भाग्य था, उसी दौरान उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई बताया गया कि उन्होंने स्वयं आत्महत्या कर ली,और उनकी की गई जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया, जो आज तक लापता है। मैंने उस दौर में पी.डी.ए.के प्रबल समर्थक और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी से सैफई महोत्सव के दौरान मुलाकात कर न्याय देने की गुहार लगाई,लेकिन उन्होंने मेरी एक भी सुनवाई इसलिए नहीं की क्योंकि मेरे विरुद्ध उनके खास समर्थक डॉ. सुबोध यादव थे। और सुबोध यादव की बेहद नजदीकियां प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्रीमती अनीता सिंह से थीं। हालांकि उस दौरान लोकप्रिय नेता श्री शिवपाल यादव जी ने निष्पक्ष विवेचना के लिए अपनी सरकार में मेरी पैरवी भी की पत्र भी लिखा था।
लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई उस दौरान के जनपद के चारों सपा विधायक और सपा जिला अध्यक्ष फर्रुखाबाद ने भी मेरी भरपूर पैरवी की थी,लेकिन कोई सुनवाई केवल इसलिए नहीं हुई क्योंकि इस गैंग के पास उस दौर के सबसे प्रभावशाली नेता डॉक्टर सुबोध यादव थे। जबकि मेरे साथ फर्जी मुकदमों में पिछड़े वर्ग के लोग,मैंने इसके अलावा इस गैंग के अन्य फ़र्ज़ी मुकदमो मे फंसाये गए गरीब यादवों को बचाने के लिए पैरवियां की थी,मैंने उस दौर के पिछड़े वर्ग के गरीबों की जमीने बचाने के लिए आवाज बुलंद की थी,मैंने उस दौर के दलित समुदाय के लोगों की उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद की थी,मैंने उस दौर के सम्मानित ब्राह्मण समाज के उत्पीड़न के खिलाफ अपने अखबार दैनिक यूथ इंडिया के माध्यम से आवाज़ बुलंद की थी।जिस कारण यह दबंग गैंग मेरी जान का दुश्मन बन गया था। वर्ष 2017 में मुझे निर्दोष रहते हुए जेल जाना पड़ा और 87 दिन जेल में निरुद्ध रहा,मुझे फर्जी 18 मुकदमों में जमानते करानी पड़ी।
इस दौरान चुनाव आते जाते रहे उत्तर प्रदेश में सरकार भाजपा की आई और प्रदेश मुखिया के रूप में गोरखपुर मठ के महंत योगी श्री आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए उनकी जीरो टॉलरेंस नीति का संचार हुआ, तो अपराधियों पर लगाम कसने लगी एटा की अलीगंज विधानसभा के विधायक रहे रामेश्वर सिंह यादव चुनाव हार चुके थे। उस वक्त की प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्रीमती अनीता सिंह के बेहद करीबी गिने जाते सपा नेता डॉक्टर सुबोध यादव पावरलेस हो चुके थे,उनके पूरे परिवार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कानूनी शिकंजा कस चुका था। रामेश्वर सिंह यादव भू- माफिया घोषित हुए,और उनके बेटे सुबोध यादव भगोड़े …रामेश्वर और उनके भाई जोगेंद्र जेल भेज दिए गए…
फतेहगढ़ कचहरी के दुर्दांत माफिया डॉक्टर अनुपम दुबे पर सरकार का शिकंजा कसा उसे भी जेल की सलाखों के पीछे अपने भाइयों के साथ जाना पड़ा जो आज भी जेल में निरुद्ध है.फतेहगढ़ कचहरी मे जुर्म और जरायम के बेताज बादशाह संजीव परिया की गिरफ्तारी हुई और वह जेल भेजे गए जेल में ही उनकी असमय मौत हो गई। सपा सरकार के दौर के जनपद के सबसे दबंग और तत्कालीन सपा जिला उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव जग्गू व उनकी पत्नी प्रीति यादव जेल की सलाखों के पीछे भेजे गए।
जबकि सपा नेता और नान प्रैक्टिशनर वकील संजीव का साथी योगेंद्र सिंह यादव चन्नू आज भी फरार है।मेरे ऊपर फर्जी 307 का मुकदमा लिखने वाले नान प्रैक्टिस वकील श्री उमेश यादव हाल ही में दिवंगत हो गए।खालिद उर्फ रज्जू खान पुलिस के भय से फरारी काट रहे हैं। डॉक्टर सुबोध यादव का बेहद करीबी साथी जिला पंचायत सदस्य आदित्य सिंह राठौर भू माफिया और गैंगस्टर घोषित हुआ। इन लोगों पर तो योगी सरकार का चाबुक चलने लगा,लेकिन फतेहगढ़ कचहरी का असली अपराधी अवधेश कुमार मिश्रा पुत्र संतोष मिश्रा निवासी पालीवाल गली भोलेपुर फतेहगढ़ लगातार अपनी वकालत की आड़ में बचा रहा जबकि उसके विरुद्ध जघन्य धाराओं में करीब 10 मुकदमे जनपद में और पड़ोसी जनपद कन्नौज में पंजीकृत हैं।
सरकार भी बदली दबंग अपराधी जेल भी गए लेकिन माफिया अनुपम दुबे संजीव परिया के गैंग का संचालन शातिर और दबंग फतेहगढ़ कचहरी के नान प्रैक्टिशनर सपा समर्थक अपराधी वकील अवधेश मिश्रा के हाथ में रहा। और उसे भाजपा के कुछ अपने सजातीय नेताओं का सहारा मिलने लगा अवधेश मिश्रा ने मेरे विरुद्ध फिर भी झूठी कार्यवाईयां रोकी नहीं,और मेरे ऊपर लगातार फर्जी बलात्कार, गैंग रेप के आरोप मेरे ऊपर लगते रहे। क्योंकि कचहरी की आड़ में अवधेश मिश्रा लगातार भोले भाले लोगों, शिक्षकों,भाजपा नेताओं व्यापारियों, वकीलों के खिलाफ फर्जी मुकदमे डालवाने और झूठी शिकायतें करवाने से बाज नहीं आ रहा था तमाम पुलिस कर्मियों थाना अध्यक्ष एल.आई.यू. इंस्पेक्टर,पुलिस अधीक्षक,जिलाधिकारी, के खिलाफ झूठी शिकायतें अबधेश मिश्रा द्वारा निरंतर कराई जा रही,जिनकी हकीकत मैं अपने अखबार के माध्यम से सत्य पर खबरों के रूप में प्रसारित कर देता था।
जिससे अवधेश मिश्रा और पूरा गैंग विचलित हो जाता, लेकिन अवधेश मिश्रा भाजपा सरकार आने के बाद भी कसर बकाया नहीं छोड़ रहा था। यही मेरी कहानी का वह हिस्सा है जिसका खुलासा आज मेरे द्वारा जनता के समक्ष किया जा रहा है — क्योंकि आज जब अवधेश मिश्रा या अनुपम दुबे जैसे आतताइयों के खिलाफ शासन प्रशासन कोई कार्रवाई करता और उन कार्रवाइयों को मैं अपने समाचार पत्रों में प्रकाशित करता हूं तो यह शातिर जातिबाद का नारा लेकर मुझे भी घेरने का प्रयास करवाते मैं एक पत्रकार हूं ना मेरी कोई जाति है, न मेरा धर्म,मैं इंसानियत को सर्वोपरि मानता हूं!मैंने सत्य से कभी समझौता नहीं किया ना इतने उत्पीड़न के बाद मैंने दबंगों से घुटने टेके, न टेकूंगा।
मेरी विचारधारा, अपराध और अपराधी और भ्रष्टाचार के खिलाफ रही,और अंतिम सांस तक रहेगी ना मुझे कोई चुनाव लड़ना है, ना मुझे कोई पद चाहिए,ना मैं धन का लोभी हूं,ना मेरे पास कोई संपत्ति मैंने आज तक पत्रकारिता में सिर्फ ख़ोया है।मैं राष्ट्रवादी पत्रकारिता करता हूं और करता रहूंगा।
मैं फर्रुखाबाद और लखनऊ से प्रकाशित दैनिक यूथ इंडिया का मुख्य संपादक और प्रकाशक साथ ही एस. एम.के.प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक हूं।


