शरद कटियार
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है — यहाँ जनता ही सबसे बड़ी ताकत है। सरकारें बनती हैं, विधानसभाएं गठित होती हैं, और नीतियाँ तय होती हैं, लेकिन इन सबकी जड़ में जो असली शक्ति है, वह है “मतदाता का अधिकार”। यही अधिकार वह नींव है जिस पर लोकतंत्र की पूरी इमारत टिकी है।
परंतु अफसोस की बात यह है कि आज भी बहुत से लोग इस अधिकार की असली कीमत नहीं समझते। चुनाव के समय मत का मूल्य एक शीशी दारू या एक मुर्गे से तौल दिया जाता है। यह न केवल लोकतंत्र का अपमान है बल्कि अपने आत्मसम्मान की भी अवहेलना है।
जब आप मतदान करते हैं, तो सिर्फ एक प्रत्याशी को नहीं चुनते, बल्कि उस व्यवस्था को भी तय करते हैं जो आने वाले वर्षों में आपके गांव, शहर, राज्य और देश का भविष्य लिखेगी। आपका वोट ही वह शक्ति है जो संसद और विधानसभाओं में आपके प्रतिनिधियों को पहुंचाती है।
यदि हम मतदाता अपने अधिकार को समझकर, सोच-समझकर मतदान करें, तो कोई भी ताकत हमारे देश की दिशा नहीं भटका सकती। लेकिन यदि हमारा वोट लालच, प्रलोभन या जातिगत भावनाओं में फंसकर दिया गया, तो लोकतंत्र खोखला हो जाता है।
आपका मत एक जिम्मेदारी है, सौदेबाज़ी का साधन नहीं। जब कोई उम्मीदवार आपका वोट खरीदने की कोशिश करता है, तो वह आपके अधिकार का नहीं, आपके विवेक का अपमान करता है। याद रखिए
> “एक वोट बिकता है तो एक आवाज़ दब जाती है, और जब आवाज़ें दबती हैं, तो लोकतंत्र मरता है।”
हमें यह समझना होगा कि जिस प्रत्याशी को हम अपने मत से जिताते हैं, वह उसी वोट की ताकत से मंत्री, विधायक या सांसद बनता है। उसके पास सत्ता, संसाधन और सम्मान आता है। लेकिन मतदाता को क्या मिलता है?
उसे वही व्यवस्था मिलती है जो उसने अपने वोट से चुनी थी — इसलिए चुनाव से पहले सिर्फ नेता नहीं, उसकी नीतियाँ, नीयत और निष्ठा को भी परखना जरूरी है।
देश तभी सशक्त बनेगा जब हर मतदाता अपने अधिकार का सम्मान करेगा और सोच-समझकर मतदान करेगा। मतदान न केवल आपका अधिकार है, बल्कि यह आपका कर्तव्य भी है। यह वह शपथ है जो आप देश की बेहतरी के लिए लेते हैं।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें—
> “हम अपना वोट किसी प्रलोभन में नहीं बेचेंगे,
अपने विवेक और देशहित में ही देंगे।”
जब मतदाता जागरूक होगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा, तभी सरकारें जवाबदेह होंगी, और तभी देश का भविष्य उज्जवल बनेगा।