– CM योगी के ट्रिलियन डॉलर विजन की ओर बड़ा कदम
– यूपी में उद्योग स्थापना को मिलेगा बल
– भूमि दर और भवन उपविधियों के सरलीकरण पर बनेगी रणनीति
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में औद्योगिक इकाइयों (industrial development) की स्थापना को सुगम और आकर्षक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए तीन उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया है। इन समितियों का उद्देश्य औद्योगिक भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करना, भूमि दरों को तर्कसंगत बनाना और भवन उपविधियों को सरल बनाना है। यह निर्णय मुख्य सचिव एस.पी. गोयल (Chief Secretary S.P. Goyal) के निर्देशानुसार लिया गया है और यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। 5 अगस्त 2025 को आयोजित एक समीक्षा बैठक में यह सामने आया कि राज्य में लगभग 4 लाख हेक्टेयर औद्योगिक भूमि अधिसूचित की जा चुकी है, जिनमें से 1.5 लाख हेक्टेयर का मास्टर प्लान तैयार है। शेष भूमि के लिए प्रक्रिया जारी है।
इसी बैठक में तीन प्रमुख बाधाओं की पहचान की गई: अधिसूचना से पहले बने भवनों के नक्शों की स्वीकृति में अड़चनें, औद्योगिक भूमि की अपेक्षाकृत ऊँची दरें, और जटिल भवन उपविधियाँ। इन चुनौतियों से निपटने के लिए तीन समितियाँ बनाई गई हैं। पहली समिति : अधिसूचित क्षेत्रों में बने पुराने भवनों की समस्याओं को हल करने के लिए बनाई गई है। यह समिति अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन कर राज्य के लिए व्यवहारिक रणनीति सुझाएगी। इसकी अध्यक्षता नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव करेंगे, जबकि इसमें आवास एवं शहरी नियोजन, इन्वेस्ट यूपी, यीडा, और न्याय विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
दूसरी समिति : औद्योगिक भूमि की दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित की गई है। यह पाया गया है कि यूपी में भूमि दरें पड़ोसी राज्यों से अधिक हैं, जिससे निवेश प्रभावित हो सकता है। समिति की अध्यक्षता अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव करेंगे और समिति विभिन्न क्षेत्रों में लागत की तुलना कर व्यवहारिक दरें तय करने पर काम करेगी।
तीसरी समिति : भवन उपविधियों को सरल और निवेशक-हितैषी बनाने पर ध्यान देगी। कई औद्योगिक क्षेत्रों में जटिल उपविधियाँ छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए अड़चन बन रही हैं। यह समिति देश के अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर सिफारिशें तैयार करेगी। इसकी अध्यक्षता राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव करेंगे।
तीनों समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी सिफारिशें 15 दिनों के भीतर शासन को सौंपें। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और समयबद्ध समाधान चाहती है। यह कदम न केवल उत्तर प्रदेश में निवेश के माहौल को और अधिक बेहतर बनाएगा, बल्कि राज्य को देश का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।