धोखे की कहानी: नाम छुपाकर की शादी, फिर धर्म परिवर्तन का दबाव
फर्रुखाबाद: जनपद के कमालगंज (Kamalganj) क्षेत्र में एक गंभीर प्रकरण सामने आया है, जिसमें मुस्लिम युवक ने कथित रूप से हिंदू (Hindu) नाम बताकर एक युवती से विवाह (Married) किया, फिर उस पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाता रहा। विरोध करने पर मारपीट कर घर से निकाल दिया गया। युवती की शिकायत पर पुलिस ने पांच आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्रेम जाल में फंसाकर की शादी
जानकारी के अनुसार, पीड़िता ममता पुत्री स्वर्गीय पप्पू, निवासी अंबेडकर नगर, कमालगंज, अपने भाई-बहन से मिलने के लिए एटा जेल जाया करती थी। वहीं उसे एक युवक मिला, जिसने अपना नाम सुनील बताया और संखवार जाति का बताया। युवक ने ममता को भरोसे में लेकर उसका नंबर लिया और बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उसने ममता के परिवार से संपर्क कर विवाह का प्रस्ताव रखा और झूठ बोलकर शादी कर ली।
शादी के लगभग दो साल बाद युवक ममता को एटा के अगौनापुर स्थित अपने घर ले गया, जहां पर उसके परिजन – पिता सादिक, मां नजमा बेगम, भाई इरफान व मोबीन – पहले से मौजूद थे। वहां जाकर ममता को पता चला कि युवक का असली नाम सलीम है। इसके बाद उस पर इस्लाम धर्म कबूल करने और बुर्का पहनने का दबाव डाला गया। ममता के इंकार करने पर उसके साथ मारपीट की गई और उसे घर से भगा दिया गया।
धमकी देकर तंग करता रहा आरोपी
ममता जैसे-तैसे अपने मायके कमालगंज पहुंची और परिजनों को आपबीती बताई। इसके बाद भी कथित सुनील उर्फ सलीम उसे धमकाता रहा। उसने कहा कि उसकी पहले से शादी हो चुकी है और उसके दो बच्चे भी हैं। साथ ही चेतावनी दी कि वह कहीं और शादी न करे, और तलाक देने की कोशिश न करे वरना जान से मार दिया जाएगा।
थाना कमालगंज पुलिस ने पीड़िता की तहरीर पर सुनील उर्फ सलीम पुत्र सादिक, सादिक, नजमा बेगम (पत्नी सादिक), इरफान और मोबीन के विरुद्ध धोखाधड़ी, धमकी, मारपीट, महिला उत्पीड़न व अन्य संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की आचार संहिता के अनुरूप टिप्पणी
यह मामला सामाजिक समरसता को प्रभावित करने वाला है। ऐसी खबरों की प्रस्तुति में सावधानी अनिवार्य है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की दिशानिर्देशों के अनुसार समाचारों में धर्म आधारित उकसावे, पूर्वाग्रह, अथवा किसी जाति विशेष को अपराधी ठहराने से बचना चाहिए। यहां प्रस्तुत रिपोर्ट पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है और किसी समुदाय को नीचा दिखाने के उद्देश्य से नहीं लिखी गई है। अब यह पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि पीड़िता को न्याय दिलाया जाए और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई और महिला इस तरह के धोखे और दबाव का शिकार न हो।