लखनऊ (प्रशांत कटियार)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम करने वाले मजदूरों की हाजिरी में अब एक अहम बदलाव किया गया है। अब मजदूरों की हाजिरी केवल चेहरे की स्कैनिंग से लगेगी, ताकि योजनाओं में हो रहे फर्जीवाड़ों पर अंकुश लगाया जा सके। यह कदम फर्जी हाजिरी और अवैध दावों की रोकथाम के लिए उठाया गया है।
इस बदलाव के तहत पंचायत प्रतिनिधियों को एनएमएमएस (राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) साफ्टवेयर का इस्तेमाल करना होगा, जिसके माध्यम से अब एक साथ 10 मनरेगा मजदूरों की हाजिरी लगाई जा सकेगी। इस तकनीकी अपग्रेडेशन का उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि केवल वही मजदूर कार्यस्थल पर हाजिर माने जाएं, जिनकी उपस्थिति वाकई वहां मौजूद हो।
इस नए अपडेटेड वर्जन में एक महत्वपूर्ण फीचर जोड़ा गया है, जिसमें श्रमिक की उपस्थिति तभी दर्ज की जाएगी, जब उसके चेहरे की स्कैनिंग के साथ उसकी पलकें झपकती हुई दिखाई देंगी। अगर पलकें नहीं झपकेंगी, तो उसकी फोटो अपलोड नहीं हो सकेगी और हाजिरी दर्ज नहीं होगी। यह प्रणाली खासकर फर्जी हाजिरी और जाली दावों को रोकने के लिए प्रभावी साबित होगी।
पहले मनरेगा में मजदूरों की हाजिरी कार्यस्थल पर उनकी फोटो खींचकर लगाई जाती थी। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं। उदाहरण स्वरूप, कुछ लोग घर बैठे ही अन्य मजदूरों के नाम पर काम का दावा करते थे और फर्जी हाजिरी लगवा लेते थे। इसके अलावा, कई मजदूर मस्टररोल में पंजीकृत होने के बावजूद कार्यस्थल पर नहीं पहुंचते थे, लेकिन उनकी हाजिरी दर्ज कर दी जाती थी।
इन समस्याओं को देखते हुए अब फेस रीडिंग तकनीक को लागू किया गया है, जिससे केवल असली श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज हो सकेगी। इस तकनीक से मजदूरों के चेहरे की पहचान करने की प्रक्रिया अधिक सटीक होगी और यह सुनिश्चित करेगा कि योजनाओं का लाभ केवल असली कामकाजी मजदूरों को मिले।
एनएमएमएस सिस्टम का नया वर्जन फर्जीवाड़े के खिलाफ एक बड़ा कदम साबित हो सकता है, क्योंकि यह मजदूरों की उपस्थिति को पूरी तरह से सत्यापित करेगा और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा। इस प्रणाली को लागू करने से मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए सरकारी सहायता के वितरण में और अधिक पारदर्शिता और नियंत्रण सुनिश्चित होगा, जिससे योजना के उद्देश्य की अधिक सटीकता से पूर्ति हो सकेगी।
यह कदम सरकार द्वारा समाज के सबसे कमजोर तबके को सही तरीके से रोजगार और सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि योजनाओं का लाभ वास्तविक पात्र व्यक्तियों तक ही पहुंचे।
मनरेगा में फर्जीवाड़े की शिकायतों के बीच एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कई पंचायत प्रतिनिधि और स्थानीय अधिकारी फर्जी हाजिरी दर्ज कराने के बदले मोटा कमीशन वसूलते थे।
सूत्रों के अनुसार, ये अधिकारी घर बैठे मजदूरों के नाम पर काम का दावा करते थे, जबकि असल में वे काम पर मौजूद नहीं होते थे। इसके बदले में ये भ्रष्ट अधिकारी बड़ी रकम की घूस लेते थे, जो योजना की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचा रही थी। इस तरह के फर्जीवाड़े से न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा था, बल्कि असली श्रमिकों का हक भी मारा जा रहा था। अब इस पर भी नकेल लगेगी