– गलत विवेचना पर न्यायालय सख्त, कार्रवाई के आदेश — अधिवक्ता डॉ. दीपक द्विवेदी की दलीलों के बाद आया बड़ा फैसला
फर्रुखाबाद: आचार संहिता उल्लंघन (code of conduct violation) के चर्चित मामले में एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय (MP-MLA court) ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए मनोज अग्रवाल को आरोपों से बरी कर दिया। न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में पूरी तरह असफल रहा और विवेचक द्वारा की गई विवेचना गंभीर त्रुटियों से भरी हुई थी।
न्यायालय ने विवेचक को दोषी मानते हुए उसके विरुद्ध आवश्यक विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि विवेचना में तथ्यों की उपेक्षा की गई और बिना पर्याप्त साक्ष्यों के आरोप प्रस्तुत किए गए, जो न्याय प्रक्रिया के विपरीत है।
मनोज अग्रवाल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डॉ. दीपक द्विवेदी ने अदालत में प्रभावी तर्क रखे। उन्होंने बताया कि न तो कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध कराया गया, न ही परिस्थितिजन्य साक्ष्य ऐसे थे जिन पर दोष सिद्ध किया जा सके। अदालत ने उनकी दलीलों को उचित मानते हुए कहा कि अभियोजन का पूरा मामला संदेह के दायरे से बाहर नहीं निकल सका।


