मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्रित्व: अधिकारों का सुनहरा दौर
प्रशांत कटियार ✍️
मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री काल (2004-2014) भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान रखता है। इस काल में भारतीय जनता को जो अधिकार मिले, उन्होंने न केवल नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार किया, बल्कि समाज में एक नई चेतना भी जागृत की। मुझे पूरा विश्वास है कि इन अधिकारों के कारण ही मनमोहन सिंह के कार्यकाल को भारतीय इतिहास का सबसे सुनहरा दौर माना जा सकता है।
सूचना का अधिकार (RTI)
मनमोहन सिंह के समय में लागू सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम ने सरकारी पारदर्शिता को बढ़ावा दिया। यह नागरिकों को अपने अधिकारों की रक्षा करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान करता है। RTI ने सरकारी कार्यों में जवाबदेही सुनिश्चित की, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आई और लोगों का प्रशासन पर विश्वास बढ़ा।
शिक्षा का अधिकार (RTE)
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, ने सभी बच्चों के लिए 6 से 14 वर्ष की आयु में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की। यह अधिकार न केवल हर बच्चे को शिक्षा का अवसर देता है, बल्कि सामाजिक समानता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। शिक्षा के इस अधिकार ने भारत में कई बच्चों के जीवन को बदलकर रख दिया है।
भोजन का अधिकार
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, भोजन का अधिकार सुनिश्चित किया गया, जिससे गरीब परिवारों को अनाज की सब्सिडी प्राप्त होती है। इस अधिकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया, जिससे लोगों को सही पोषण मिल सका। यह कदम न केवल भूख के खिलाफ लड़ाई में सहायक है, बल्कि गरीबों के जीवन स्तर में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण है।
काम का अधिकार
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम के अधिकार को सुनिश्चित किया। यह योजना ग्रामीण लोगों को न्यूनतम 100 दिन का रोजगार प्रदान करती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इसने ग्रामीण विकास को भी गति दी है और लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।
वनाधिकार
वनाधिकार अधिनियम, 2006, ने आदिवासी और वन-निवासियों को उनके पारंपरिक वन क्षेत्रों पर अधिकार दिया। इस अधिनियम ने न केवल उनके अधिकारों की रक्षा की, बल्कि उनकी संस्कृति और पहचान को भी बढ़ावा दिया। यह कदम वन संरक्षण और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण था।
इन पांच अधिकारों ने भारतीय समाज में एक नई रोशनी बिखेरी है। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में भारत ने एक ऐसा बदलाव देखा, जो न केवल नागरिकों के अधिकारों को स्थापित करता है, बल्कि उन्हें उनके जीवन में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह अधिकार हमें सिखाते हैं कि एक सशक्त नागरिक ही एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। इसलिए, मनमोहन सिंह का योगदान और उनके द्वारा स्थापित अधिकारों को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनका कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक प्रेरणा है, और यह याद रखना नामुमकिन नहीं, बल्कि आवश्यक है।