शरद कटियार
उत्तर प्रदेश में इस वर्ष का वन महोत्सव-2025 एक साधारण कार्यक्रम नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को जनआंदोलन बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक अवसर बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लिए गए फैसले इस अभियान को मात्र औपचारिकता से निकाल कर आम जन की चेतना से जोड़ने का संकल्प दिखाते हैं। खासकर इस वर्ष की थीम – “एक पेड़ माँ के नाम” – न सिर्फ भावनात्मक रूप से जनता को छूती है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की नई परिभाषा भी गढ़ती है।
वन महोत्सव के दौरान जन्म लेने वाले हर नवजात को ‘ग्रीन गोल्ड सर्टिफिकेट’ और एक पौधे की सौगात देना एक ऐसा विचार है, जो पर्यावरणीय चेतना को पारिवारिक संस्कारों में बदल देता है। जब कोई परिवार उस पौधे को अपनी संतान की तरह देखेगा, तो हरियाली की जिम्मेदारी एक भावनात्मक रिश्ता बन जाएगी। यह पहल भविष्य के लिए स्थायी सोच की मिसाल है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक दिन में प्रदेश की आबादी से अधिक यानी 35 करोड़ पौधे लगाने का जो संकल्प लिया है, वह केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने का एक ठोस सामाजिक प्रयास है। 2017 से अब तक 204.92 करोड़ पौधों का रोपण और 3 लाख एकड़ हरित आवरण की वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि इच्छाशक्ति और जनसहयोग से बदलाव संभव है।
‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के अंतर्गत विद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों और गो-आश्रय स्थलों में सहजन और छायादार वृक्षों का रोपण कर सरकार पर्यावरणीय सरोकार को शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था से जोड़ रही है। यह सोच विकास के साथ संतुलित प्रकृति को प्राथमिकता देती है। औद्योगिक इकाइयों और एक्सप्रेस-वे के किनारों पर हरित पट्टियों का निर्माण शहरी और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाएगा।
इस वर्ष वन महोत्सव में नदियों के पुनरुद्धार को जोड़ना एक दूरदर्शी निर्णय है। नदियों के तटों और कैचमेंट क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल गुणवत्ता और जैव विविधता दोनों को संजीवनी देगा। यह पहल उत्तर भारत के जल संकट को दीर्घकालिक समाधान दे सकती है।
सरकार का यह निर्णय कि वृक्षारोपण के प्रति चेतना जगाने के लिए नुक्कड़ नाटक, चित्रकला, वाद-विवाद और प्रभात फेरियों का आयोजन हो — यह बताता है कि प्रशासन अब संवाद आधारित जनभागीदारी को प्राथमिकता दे रहा है। पर्यावरण संरक्षण जब पाठ्यक्रम से बाहर निकलकर मंचों और गलियों में आएगा, तभी वास्तविक परिवर्तन संभव होगा।
“वन महोत्सव-2025” को लेकर राज्य सरकार का विजन स्पष्ट है — यह अब केवल एक विभागीय योजना नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से चलने वाला हरित क्रांति अभियान है। यदि प्रत्येक व्यक्ति केवल एक पौधा भी लगाए और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करे, तो उत्तर प्रदेश भारत का सबसे हराभरा राज्य बनने से कोई नहीं रोक सकता।
अब जरूरत इस बात की है कि यह भावनात्मक और पर्यावरणीय युग्म – “एक पेड़ माँ के नाम” – सिर्फ एक नारा न बनकर, हर दिल की आवाज़ और हर हाथ की जिम्मेदारी बन जाए।