22.5 C
Lucknow
Wednesday, February 5, 2025

महाकुंभ 2025: भीड़, भगदड़ और चमत्कारी आंकड़े

Must read

– शरद कटियार

महाकुंभ 2025 अब तक के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में शुमार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि 22 दिनों में 38 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं और अगले कुछ दिनों में यह संख्या 40 से 45 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है बल्कि कई सवाल भी खड़े करता है।
प्रयागराज का महाकुंभ सदियों से श्रद्धा और आस्था का केंद्र रहा है। लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की संख्या पर जितनी चर्चा हो रही है, उतनी ही बहस इसके सही या गलत होने पर भी हो रही है। 38 करोड़ का मतलब है कि हर दिन औसतन 1.72 करोड़ लोग स्नान कर रहे हैं। प्रशासन के इंतजाम, शहर की क्षमता और सीमित संसाधनों के बीच यह आंकड़ा वाकई हैरान करने वाला है।
यह वही कुंभ है, जहां सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीती 29 जनवरी को हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 60 से अधिक लोग घायल हुए थे। लेकिन जब मुख्यमंत्री आंकड़ों का जादू बिखेरते हैं, तो भगदड़ की चीखें कहीं दब जाती हैं। आखिर 38 करोड़ श्रद्धालु कब, कहां और कैसे गिने गए?
महाकुंभ में भीड़ का सही आकलन करना हमेशा से चुनौती रहा है। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे लेकर एक ‘दिव्य शक्ति’ का प्रदर्शन कर दिया।
प्रयागराज की कुल जनसंख्या 60 लाख से कम है।पूरे उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 25 करोड़ है।भारत की कुल जनसंख्या 140 करोड़ है।
अगर हम यह मान लें कि देशभर से लोग कुंभ में आ रहे हैं, तो क्या हर भारतीय ने महाकुंभ में दो से तीन बार स्नान कर लिया? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पूरे आयोजन की गिनती इलेक्ट्रॉनिक काउंटिंग सिस्टम से नहीं हो रही है, बल्कि प्रशासन की ‘अनुमान आधारित गणना’ पर निर्भर है।
एक तरफ सरकार 38 करोड़ का आंकड़ा जारी कर रही है, तो दूसरी तरफ सुरक्षा और सुविधाओं की पोल भगदड़ जैसी घटनाएं खोल रही हैं। श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं, मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं और प्रशासन की लापरवाही बार-बार उजागर हो रही है।
कुंभ मेला क्षेत्र में प्रति वर्ग किलोमीटर 10 लाख से अधिक लोग पहुंच रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर भीड़ नियंत्रण का दावा करना ही अपने आप में अव्यावहारिक लगता है।
महाकुंभ का आयोजन साधु-संतों के बिना अधूरा है। लेकिन जब भगदड़ में मौतें हुईं और अव्यवस्था चरम पर थी, तब कई प्रमुख संतों ने इस पर सवाल उठाए।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “अगर 38 करोड़ लोग सच में आ चुके हैं, तो सरकार को इस ऐतिहासिक भीड़ प्रबंधन पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। यह आस्था के नाम पर प्रशासनिक विफलता को छिपाने का प्रयास लगता है।”
इसके अलावा, कई साधु-संतों ने महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई और सरकार से इस पर सफाई देने की मांग की।
महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राजनीति और प्रचार का सबसे बड़ा मंच भी बन चुका है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिंदुत्व को बड़ा मुद्दा बनाया था, और अब 2025 के कुंभ में यह एजेंडा और तेज कर दिया गया है।
राम मंदिर के बाद अब महाकुंभ को भव्यता का नया चेहरा बनाया जा रहा है।
38 करोड़ का आंकड़ा बताकर यह संदेश दिया जा रहा है कि योगी सरकार में आस्था की ताकत और आयोजन क्षमता पहले से कहीं अधिक है।
आगामी चुनावों में बीजेपी इस आयोजन को एक ‘सफलता मॉडल’ के रूप में पेश कर सकती है।
महाकुंभ आस्था का प्रतीक है, लेकिन क्या यह आस्था से ज्यादा आंकड़ों का खेल बन गया है? 38 करोड़ की संख्या प्रशासन की क्षमता से अधिक लगती है। अगर वास्तव में इतनी भीड़ प्रयागराज में आई होती, तो यह इतिहास का सबसे बड़ा मानव जमावड़ा होता।
सवाल उठता है,सरकार इन आंकड़ों का स्रोत क्या बता रही है? अगर 38 करोड़ लोग आए हैं, तो भगदड़ जैसी घटनाएं रोकने में नाकामी क्यों? अगर अगले कुछ दिनों में 45 करोड़ लोग आने वाले हैं, तो क्या प्रयागराज इसका भार सह पाएगा?महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भीड़ जरूर उमड़ी है, लेकिन 38 करोड़ का दावा कितना सच और कितना प्रचार, यह बड़ा सवाल है। अगर यह आंकड़ा सही है, तो सरकार को इसका प्रमाण देना चाहिए। और अगर यह सिर्फ एक प्रचार का हिस्सा है, तो यह आस्था के नाम पर आंकड़ों की राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण होगा।
कुंभ जैसे ऐतिहासिक आयोजन को राजनीति और आंकड़ों से ऊपर रखा जाना चाहिए। श्रद्धालु सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं। सरकार का कर्तव्य है कि वह उनकी सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रखे, न कि सिर्फ आंकड़ों के जादू से सुर्खियां बटोरने की कोशिश करे।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article