गरीबों की जमीन पर माफिया नज़र: दिलावल में अमन दुबे के कब्जे का खेल तेज, ग्राम प्रधान को दी गोली मारने की धमकी

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– ट्रस्ट की 63 बीघा भूमि हड़पने के बाद अब बाईपास की करोड़ों की जमीन पर डाला डेरा—सांसद के करीबी को फँसाने की साज़िश

फर्रुखाबाद। जिले में अवैध कब्जों का कुख्यात चेहरा बन चुके अमन दुबे की दबंगई एक बार फिर सुर्खियों में है। गरीबों को आवंटित पट्टों पर जबरिया कब्जे से लेकर ट्रस्ट व सरकारी जमीनों को हथियाने तक, अमन दुबे का यह नया खेल अब दिलावल क्षेत्र में हिंसक रूप लेते दिख रहा है। हालत यह है कि विरोध करने वालों को वह गोली मारने तक की धमकी देने लगा है।
सूत्रों के अनुसार, अमन दुबे इससे पहले एक ट्रस्ट की करीब 63 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा कर चुका है। यह जमीन करोड़ों की बताई जाती है, और लंबे समय से इस गिरोह की गतिविधियों का केंद्र रही है। अब वही नेटवर्क बाईपास पर स्थित महंगी सरकारी जमीनों को निशाना बना रहा है।
ग्राम दिलावल के ग्राम प्रधान रजनीश कठेरिया ‘मोनू’ ने जब बाईपास की भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे का विरोध किया तो अमन दुबे ने उन्हें जान से मारने की धमकी दे डाली। यह घटना स्थानीय लोगों में गहरा भय पैदा कर रही है, क्योंकि क्षेत्र में अमन दुबे के आतंक की पहले से ही चर्चा है।
अमन दुबे लंबे समय से जिले के कुख्यात माफिया अनुपम दुबे और अवधेश मिश्रा के गिरोह से जुड़ा रहा है। जमीन कब्जा, धमकी, जबरन वसूली और राजनीतिक शरण—इन सबके सहारे यह गैंग बार-बार सक्रिय होता रहा है। पुलिस कार्रवाई की कमजोरी और नेटवर्क की पकड़ के कारण इनकी पहुंच लगातार बढ़ती जा रही है।
दो दिन पहले अमन दुबे ने खैरवन नगला निवासी सतीश राजपूत, जो सांसद मुकेश राजपूत के करीबी माने जाते हैं, की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। यह कोशिश केवल कब्जे तक सीमित नहीं थी—बल्कि इसके बाद अवधेश मिश्रा के पुराने साथियों द्वारा संचालित एक वेबसाइट पर सांसद को बदनाम करने के उद्देश्य से झूठी खबरें भी चालाकी से प्रकाशित कराई गईं।
यह रणनीति दोहरी थी—पहले जमीन कब्जाओ, फिर राजनीतिक विरोधी को बदनाम करो।
अमन दुबे का यह कब्जा तंत्र लंबे समय से गांवों में दहशत का माहौल बना रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वह अपने राजनीतिक और माफिया गठजोड़ के दम पर जमीनों पर कब्जे करता है और विरोध करने वालों को धमकाता है।
ग्राम प्रधान रजनीश कठेरिया द्वारा की गई शिकायत के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होना ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर रहा है।
यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में सक्रिय एक संगठित कब्जा गिरोह का है, जो गरीबों के पट्टों, सरकारी जमीनों और ट्रस्ट की संपत्तियों को लक्ष्य बनाकर जमकर खेल खेल रहा है।
अब बेटियों, गरीबों और दलितों के लिए आवंटित भूमि पर माफिया का कब्जा प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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