कानून नहीं, खनन-गुंडई का बोलबाला, व्यापारी ,पत्रकारों, प्रधानो तक को धमकाने तक जा पहुंचा सत्ता का अपराध गठजोड़
फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही “जीरो टॉलरेंस” की बात करती हो, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। फर्रुखाबाद में इन दिनों सत्ता का साया अपराधियों पर इस कदर मेहरबान है कि समाजवादी पार्टी के घोषित गुंडे अब भाजपा और सहयोगी दलों में डेपुटेशन पर पहुंच गए हैं और उन्हें खुलेआम संरक्षण मिल रहा है भारतीय जनता पार्टी के विधायक नागेंद्र सिंह राठौर से। इन गुंडों को सत्ता के संरक्षण में वो सब कुछ करने की छूट मिल गई है, जो कानूनन अपराध है सट्टा, मिट्टी-बालू खनन, दिनदहाड़े जमीनों पर कब्जा, और खुलेआम गुंडागर्दी। प्रधानो से जबरिया काम लेना, स्थानीय पुलिस खामोश है, आंख मूंदे बैठी है और कार्रवाई करने से कतरा रही है, क्योंकि सत्ता की छत्रछाया में अपराध पनप रहा है।
विधायक राठौर बने ‘गॉडफादर’!
कुख्यात भूमिया और गैंगस्टर आदित्य राठौर, जो कभी समाजवादी पार्टी और माफिया सुबोध यादव का सक्रिय चेहरा था, आज भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह राठौर की गोदी में बैठ कर सत्ता का स्वाद चख रहे हैं। वहीं, जितेंद्र कटियार उर्फ रिंकू ने अपना दल (एस) का दामन थाम लिया है। दोनों खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं, और उनका पूरा नेटवर्क अब सत्ता के संरक्षण में और बेलगाम होता जा रहा है।
पुलिस नहीं, अपराधियों की पैरवी कर रही है सत्ता
स्थानीय लोगों के अनुसार, भाजपा सरकार बनते ही इन दोनों ने जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी से गद्दारी कर सपा प्रत्याशी सुबोध यादव को जिला पंचायत चुनाव में वोट दिया था। लेकिन अपराध की भाषा और दबंगई की राजनीति ने एक बार फिर इनको सत्ता के करीब पहुंचा दिया है। विधायक राठौर ने न केवल इन्हें संरक्षण दिया बल्कि प्रशासन में सेटिंग कर उन्हें ‘सूट-बूट वाला माफिया’ बना दिया।
अब मीडिया को धमकी, शरद कटियार पर षड्यंत्र!
सबसे गंभीर बात यह है कि अब यह गठजोड़ स्वतंत्र पत्रकारिता को भी कुचलने पर आमादा है। दैनिक यूथ इंडिया के संपादक शरद कटियार को ए के राठौर और पूरे गैंग द्वारा मारने की धमकी दी गई है। ठीक उसी तरह जैसे सौरभ कटियार पर हमले की गई घटना हुई थी। सूत्रों के अनुसार, विधायक नागेंद्र सिंह राठौर ने पुलिस अधीक्षक पर भी दबाव बनाया कि शरद कटियार पर गुंडा एक्ट में फंसाने की तैयारी हो।
जबकि सच्चाई यह है कि शरद कटियार वही पत्रकार हैं जिन्होंने माफिया अनुपम दुबे, रामेश्वर सिंह यादव, और उनके बेटे सुबोध यादव की हकीकत उजागर की थी। यही वजह रही कि राठौर को यह बात रास नहीं आई और शरद कटियार के खिलाफ एक सोचा-समझा षड्यंत्र रचा गया।
गौरतलब है कि आदित्य जैसे चेहरे आज भी सत्ता के बेहद करीब हैं। नागेंद्र सिंह राठौर जैसे नेता इनका खुला संरक्षण कर रहे हैं, और जो भी इनकी असलियत उजागर करता है —उसे या तो धमकी मिलती है या फिर जेल में डालने की साजिश।
क्या यही है योगी का जीरो टॉलरेंस?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब कहते हैं “मिट्टी में मिला देंगे” तो जनता अब पूछ रही है, “किसे?” क्योंकि मिट्टी में तो कानून और न्याय मिल रहे हैं, माफिया नहीं। फर्रुखाबाद की जनता देख रही है कि जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटने वाली सरकार, आज उन्हीं अपराधियों को संरक्षण दे रही है जिनके खिलाफ पहले कार्रवाई का ढिंढोरा पीटा गया था।
विधायक जानबूझकर हटवा चुके हैं शरद कटियार की सुरक्षा नहीं होने दिया रिवाल्वर का लाइसेंस नवीनीकरण
कुख्यात माफिया अनुपम दुबे और उसके संगठित गैंग साथी संजीव पारीया व अन्य का खुलासा करने से नाराज उनके संरक्षक दाता रहे भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह राठौर ,कटियार के खिलाफ पूर्व में भी खेल करते रहे और शासन से उन्हें मिली सुरक्षा को भी जिले से संस्तुति जाने के बाद भी अपनी ताकत के बलबूते हटवा आए, यहां तक की जीवन भय निवारण के लिए उनका रिवाल्वर लाइसेंस भी प्रशासन द्वारा नवीनीकरण नहीं होने दिया,ताकि उनकी हत्या कर दी जाय।
जबकि उनकी जान को खतरा है यह पूरा जिला और और प्रशासन जानता है शरद कटियार ने कहा कि उनके या परिवार अथवा किसी करीबी साथी के साथ कोई भी अप्रिय घटना होती है तो इसके जिम्मेदार विधायक नागेंद्र सिंह राठौर और उनका सपा पोषित रहा गैंग होगा। माफी अनुपम दुबे के दोनों भाई इन दोनों जब से जिले से बाहर आए हैं तब से जिले की व्यवस्था भगवान भरोसे हो गई है और कई सत्ता रुन नेता उनके प्रभाव में आने लगे हैं