– टॉप 10 माफियाओं के खिलाफ अकेले मोर्चा, कुख्यात गिरोहों ने रची हत्या की साजिश
– बार कॉन्सिल में झूठ मामले दर्ज करा कर डिवार कराने की पुरजोर कर रहे कोशिश
फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश का Farrukhabad जिला इन दिनों एक कानूनी जंग का गवाह बनता जा रहा। यहां कचहरी Fatehgarh के वरिष्ठ अधिवक्ता Rajiv Bajpai ने वो किया है, जिसकी हिम्मत कचहरी में शायद ही कोई और करता, कचहरी मे अराजकता और खुलेआम गुंडई माफियाराज के खिलाफ अकेले आवाज बुलंद कर —राज्य के टॉप 10 कुख्यात माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ अकेले खड़े होकर मोर्चा खोल दिया। और उसके व उसके भाइयों के खिलाफ दर्ज गैंगस्टर के मुकदमों में गवाह बने साथ ही कुख्यात अपराधी रहे संजीव परिया के विरुद्ध मुकदमा वादी बने, गैंगस्टर देवेंद्र सिंह यादव जग्गू योगेंद्र सिंह यादव छन्नू जैसे शातिरो के खिलाफ प्रशासन के साथ खड़े रहे।
सूत्र बताते हैं कि जिन अपराधियों से राजीव बाजपेई टकरा रहे हैं, उनमें अनुपम दुबे और उसके कुख्यात गैंगस्टर अनुराग दुबे डब्बन अमित दुबे बब्बन भाई, उसके साथ सक्रिय माफिया रहे मृतक संजीव परिया का भाई अपराधी आशीष परिया, सपा नेता शिव प्रताप सिंह ‘चीनू’, सपा नेता गँगेस्टर आदित्य सिंह राठौर ए.के., ‘बड़े ठाकुर’ के नाम से मशहूर शैलेंद्र सिंह और उसके करीबी शैलेंद्र शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। ये वो लोग हैं, जिनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं।
इन अपराधियों और उनके संरक्षक, कुख्यात नॉन-पेटीशनर वकील अवधेश मिश्रा ने बाजपेई को मैदान से हटाने के लिए हर हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया है। रोज झूठी शिकायतें, फर्जी मुकदमे, पेशेवर बदनामी और प्रशासनिक दबाव—ये सब उनके खिलाफ एक सुनियोजित अभियान का हिस्सा हैं। कई शिकायतकर्ता खुद लंबे आपराधिक इतिहास वाले हैं, लेकिन साजिश इतनी गहरी है कि बाजपेई की कानूनी लड़ाई और उन्हें ही खत्म करने के लिए पूरा संगठित गिरोह एकजुट हो गया है।
खबर है कि माफिया नेटवर्क सिर्फ मुकदमों से ही नहीं, बल्कि बाजपेई की जान लेने की कोशिश तक कर चुका है। उन्हें मिली सुरक्षा के खिलाफ भी योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई कराई जा रही है, ताकि उन्हें बिना ढाल के छोड़कर निशाना बनाया जा सके। मामला इतना गंभीर है कि शिकायत सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार तक पहुंचाई गई है।
‘लोन वॉरियर’ – कचहरी में माफिया राज के खिलाफ एकमात्र आवाज
फतेहगढ़ कचहरी में जहां कई वकील माफियाओं की पैरवी करने में लगे हैं, वहीं राजीव बाजपेई अकेले ऐसे अधिवक्ता हैं जो पीड़ितों की तरफ से माफियाओं को अदालत में घेर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ आरोपियों की कानूनी रणनीतियों को ध्वस्त किया है, बल्कि अदालत में ऐसे तर्क रखे हैं जो अपराधियों की हेकड़ी तोड़ दें।
राजीव बाजपेई अब सिर्फ एक वकील नहीं, बल्कि जनता के लिए उम्मीद का प्रतीक बन गए हैं। उनके साहस ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादा पक्का हो तो माफिया तंत्र का साम्राज्य भी हिल सकता है। लेकिन माफियाओं के लिए वे सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं, और इसी वजह से वे उनकी हिट-लिस्ट में सबसे ऊपर हैं।
अगर राजीव बाजपेई की यह जंग हार जाती है, तो यह सिर्फ एक वकील की हार नहीं होगी—यह कानून के सामने अपराध तंत्र की जीत होगी। फर्रुखाबाद के लोग मानते हैं कि यह लड़ाई न्याय के भविष्य की लड़ाई है। यह कहानी सिर्फ एक अदालत की बहस की नहीं, बल्कि साहस बनाम अपराध साम्राज्य की है—जहां एक तरफ गोलियों और धमकियों की ताकत है, तो दूसरी तरफ एक कलम और कानून की किताब… और इस वक्त कानून की तरफ खड़े हैं सिर्फ राजीव बाजपेई।