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Tuesday, June 17, 2025

आदिवासी कल्याण की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार की ठोस पहल

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विकास कटियार

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) देश का वह राज्य है, जहां सबसे अधिक आदिवासी जनसंख्या निवास करती है। जनगणना 2011 के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 21.1% हिस्सा आदिवासी समुदाय से आता है। यानि कि लगभग 1.53 करोड़ से अधिक आदिवासी नागरिक (tribal citizen) यहां निवास करते हैं। ऐसे में प्रदेश की सामाजिक और आर्थिक समरसता के लिए आदिवासी कल्याण अत्यंत आवश्यक है। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh government) लगातार अनेक योजनाएं संचालित कर रही है, जिनका उद्देश्य आदिवासी समाज का समग्र विकास और मुख्यधारा से जुड़ाव है।

सरकार का मानना है कि आदिवासी समाज की प्रगति का मूलमंत्र शिक्षा है। इसलिए इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं:

आदिवासी छात्रावास एवं आश्रमशालाएं: राज्य में लगभग 1,500 से अधिक आश्रम/छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं, जहां लाखों छात्र निःशुल्क भोजन, निवास व शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आवासीय विद्यालय: प्रदेश में 165 एकलव्य आदर्श विद्यालयों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से कई प्रारंभ हो चुके हैं। शिक्षा प्रोत्साहन योजनाएं: अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना और पढ़ो-बढ़ो योजना लागू की गई है, जिसके तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

आईएएस/पीसीएस कोचिंग: आदिवासी युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नि:शुल्क कोचिंग दी जा रही है।
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में “मोबाइल हेल्थ यूनिट्स” शुरू की गई हैं, जो गांव-गांव जाकर प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराती हैं।

मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आदिवासियों को ₹5 लाख तक का निशुल्क इलाज मिल रहा है। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए विशेष कार्यक्रम “मामा के दुआरे स्वास्थ्य” अभियान चलाया गया है। पोषण मिशन के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या में 30% वृद्धि की गई है। वनोपज पर समर्थन मूल्य: आदिवासी समाज की आय का प्रमुख स्रोत वनों से प्राप्त उपज है। सरकार ने 65 से अधिक वनोपजों को लाभकारी समर्थन मूल्य पर खरीदना शुरू किया है।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत हजारों आदिवासी युवाओं को ऋण सहायता और ट्रेनिंग प्रदान की जा रही है।
आदिवासी बहुल जिलों में कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की जा रही है, जिससे स्थानीय युवाओं को विभिन्न तकनीकी प्रशिक्षण मिल रहा है। आदिवासी गौरव दिवस (15 नवम्बर) को राजकीय अवकाश घोषित किया गया है, जो भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

आदिवासी नृत्य, संगीत, कला और परंपराओं को बढ़ावा देने हेतु आदिवासी संग्रहालय और लोक कला मंचों की स्थापना की गई है। आदिवासी युवाओं के लिए खेल प्रतिभा खोज अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर चयनित खिलाड़ियों को विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मुख्यमंत्री आवास योजना के माध्यम से आदिवासी परिवारों को पक्के मकान दिए जा रहे हैं।

वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन भूमि अधिकार पत्र प्रदान किए जा रहे हैं।
अब तक 22 लाख से अधिक वनाधिकार पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। सड़क और बिजली: आदिवासी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 15,000 किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई गई हैं। हर घर जल मिशन के अंतर्गत आदिवासी गांवों में पाइप जल आपूर्ति योजना तेज़ी से लागू की जा रही है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर आदिवासी घर में शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूर्ण हो रहा है। मध्य प्रदेश सरकार की ये योजनाएं केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर परिवर्तन ला रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सम्मान के माध्यम से आदिवासी समाज अब आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह विश्वास कि “आदिवासी समाज के बिना राज्य का विकास अधूरा है,” नीतियों और कार्यान्वयन में स्पष्ट झलकता है। सरकार की प्राथमिकता यही है कि आदिवासी समाज को केवल सहायता की आवश्यकता नहीं, सशक्तिकरण के अवसर मिलें — ताकि वे न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए विकास के भागीदार बन सकें।

लेखक, सामाजिक मामलों के जानकार और साफ्टवेयर इंजिनियर हैँ।

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