मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की कड़ी जांच के बाद ही मिलेगा वेतन

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आज़मगढ़ प्रकरण के बाद सरकार ने लागू की नई व्यवस्था

लखनऊl प्रदेश सरकार ने अनुदानित मदरसों में शिक्षकों और कर्मचारियों की उपस्थिति को लेकर बड़ी कार्रवाई करते हुए फैसला किया है कि अब मासिक वेतन केवल प्रबंधन से प्राप्त वास्तविक उपस्थिति प्रमाणपत्र के बाद ही जारी किया जाएगा। यह व्यवस्था आज़मगढ़ के ब्रिटेन-स्थित मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा के मामले के उजागर होने के बाद लागू की गई है, जिसमें उनकी वर्षों से विदेश में मौजूदगी और संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जानकारी सामने आई थी।

प्रदेश में वर्तमान समय में 561 अनुदानित मदरसे संचालित हैं, जहां कुल 2.31 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इन संस्थानों में 9,889 शिक्षक और 8,367 शिक्षणेत्तर कर्मचारी तैनात हैं। हाल ही में एटीएस की जांच में सामने आया कि शमशुल हुदा, जिसकी नियुक्ति 12 जुलाई 1984 को आजमगढ़ के एक मदरसे में सहायक अध्यापक आलिया के पद पर हुई थी, वर्ष 2007 से ब्रिटेन में रह रहा था और 19 दिसंबर 2013 को उसने ब्रिटिश नागरिकता ग्रहण कर ली थी। इसके बावजूद उसका वेतन वर्षों तक जारी होता रहा।

सरकार ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि भविष्य में किसी भी मदरसा कर्मचारी का भुगतान तभी किया जाएगा, जब उसकी उपस्थिति का मासिक प्रमाणपत्र सत्यापन के साथ उपलब्ध होगा। नई व्यवस्था का उद्देश्य अनियमितताओं और फर्जी उपस्थिति से जुड़ी घटनाओं पर रोक लगाना है।

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