लखनऊ नगर निगम को राष्ट्रपति द्वारा ‘स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार समारोह 2024-25’ में देश के शीर्ष तीन स्वच्छ शहरों में शामिल कर सम्मानित किया जाना केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि सकारात्मक प्रशासनिक सोच, सुनियोजित कार्यशैली और जनभागीदारी का प्रतीक है। यह उपलब्धि लखनऊ जैसे भीड़भाड़ वाले महानगर के लिए इसलिए भी विशेष है क्योंकि यहाँ स्वच्छता को लेकर चुनौतियाँ जमीनी स्तर पर बेहद जटिल हैं।
इस सफलता के पीछे पूर्व नगर आयुक्त और IAS अधिकारी इंद्रजीत सिंह की दूरदृष्टि और कर्तव्यनिष्ठा को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उनके नेतृत्व में न केवल कचरा निस्तारण की व्यवस्था को दुरुस्त किया गया, बल्कि नागरिकों में स्वच्छता के प्रति चेतना भी जगाई गई। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में लखनऊ को मिली 3-स्टार रेटिंग, उन्हीं के प्रयासों का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
यह देखकर सुखद अनुभूति होती है कि उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा और महापौर सुषमा खड़कवाल जैसे जनप्रतिनिधियों ने भी इस सफलता को केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि सभी लखनऊवासियों की सामूहिक उपलब्धि माना है। यह वह दृष्टिकोण है जो लोकतंत्र को सार्थक बनाता है।
आज जब देश स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में प्रवेश कर चुका है, ऐसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि ईमानदार नेतृत्व, पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार से कोई भी शहर स्वच्छता के क्षेत्र में मिसाल बन सकता है।
यह सम्मान न केवल लखनऊ के लिए प्रेरणा है, बल्कि देश के अन्य नगर निगमों को भी यह संदेश देता है कि स्वच्छता अब केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन है – और इस आंदोलन का नेतृत्व उन्हीं के हाथ में है जो ज़मीन पर उतरकर बदलाव की ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार हैं।
यही है नए भारत का संकेत – जहां पुरस्कार कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर दिखते हैं।
