सेवा निवृत्त होने के बाद भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने की कोशिश, विशेषज्ञों ने जताई चिंता
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कई प्रोन्नत आईएएस अधिकारियों (IAS officers) ने सेवा निवृत्ति के बाद भी समाज में सक्रिय रहने के लिए सामाजिक संगठन (social organisations) स्थापित किए हैं। हालांकि, इन संगठनों की गतिविधियों में कई बार जाति आधारित रुझान देखने को मिल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, ये अधिकारी समाज की मुख्य धारा से जुड़े रहने के लिए संगठनों का संचालन कर रहे हैं। उनके प्रयासों का उद्देश्य समाजिक कल्याण, जागरूकता और प्रशासनिक अनुभव को सामाजिक क्षेत्र में लागू करना बताया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों और नागरिक समाज ने चेतावनी दी है कि जातिगत आधार पर संगठन बनाना समाज में विभाजन और असमानता पैदा कर सकता है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, सेवा निवृत्त अधिकारियों का अनुभव और प्रशासनिक ज्ञान समाज कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका जातिगत हितों के लिए इस्तेमाल चिंता का विषय है। ऐसे संगठनों की गतिविधियों पर सक्रिय निगरानी और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
इस मामले में यूपी के विभिन्न जिलों से जुड़े नागरिक और समाजसेवी भी सक्रिय हैं। उनका कहना है कि संगठन के उद्देश्य और उनके कामकाज की सार्वजनिक समीक्षा होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समाज के सभी वर्गों को लाभ मिले और किसी विशेष जाति या समूह के हित में संगठन का दुरुपयोग न हो।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि पूर्व आईएएस अधिकारियों के संगठन सामाजिक कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक जागरूकता के क्षेत्र में अपने अनुभव का उपयोग करें, लेकिन जातिगत विभाजन से दूर रहते हुए सभी समुदायों को समान अवसर प्रदान करें। इस प्रकार, यूपी में सेवा निवृत्त आईएएस अधिकारियों द्वारा चलाए जा रहे संगठन समाज के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, बशर्ते उनकी गतिविधियां पारदर्शी और समावेशी हों।