और जो आपका सम्मान नहीं करता, उसे खोना नुकसान नहीं, बल्कि एक बड़ी राहत है
शरद कटियार
कभी-कभी जीवन में ऐसा वक्त आता है जब आपको ये एहसास होता है कि आपने जिन लोगों के लिए पूरी ईमानदारी से सब कुछ किया, वही लोग आपके सबसे बड़े दर्द का कारण बन गए।
फर्रुखाबाद ने भी कुछ ऐसा ही किया। 27 वर्षों तक निःस्वार्थ भाव से, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से सेवा की। नेता, आम आदमी, इष्ट मित्र, सजातीय बंधु और विशेषकर वे लोग जिन्होंने मेरी तपस्या से उपजी मेरी शख्सियत का लाभ उठाया—सबकी सेवा की।
पर क्या मिला? सिर्फ उपेक्षा, तिरस्कार और दिल तोड़ देने वाला अपमान।
किसी के लिए कुछ करना आसान है, पर उसके बदले में तिरस्कार और धोखा मिलना सबसे कठिन। जिन लोगों ने मेरी छाया में, मेरी मेहनत की पगडंडियों पर चलते हुए अपनी दुनिया रच ली, वही लोग आज मुझे और मेरे जैसे मंच ‘यूथ इंडिया’ को दरकिनार कर, मेरी ही पहचान का उपयोग करके अपना काम चला रहे हैं।
ये वही लोग हैं जो मेरी सत्यनिष्ठा की आड़ में आगे बढ़े, लेकिन समय आने पर अलग हो गए। आज भी मेरे नाम का उपयोग करते हैं, पर साथ खड़ा होने का साहस नहीं दिखाते। क्या यही इंसानियत है? क्या यही रिश्तों की परिभाषा है?
आप जब जीवन के तीन दशक अपने कर्तव्यों को समर्पित करते हैं, तो बदले में सिर्फ इतना चाहते हैं कि लोग आपकी सच्चाई और त्याग का सम्मान करें। लेकिन जब हर ओर से अपमान और धोखे मिले, तो समझिए कि वहां रहना खुद के खिलाफ एक षड्यंत्र है।जहां आत्मसम्मान की कद्र न हो, वहां बने रहना किसी आफत से कम नहीं।
यूथ इंडिया: मेरा सपना, मेरी तपस्या — और अब दूसरों की आड़
‘यूथ इंडिया’ केवल एक मंच नहीं, वह मेरी सोच, मेरी मेहनत और मेरी निष्ठा से उपजा एक विचार है— समाज को दिशा देने का, युवाओं को जोड़ने और सच्चाई के साथ खड़े होने का।
पर अफ़सोस, आज उसी मंच को लोग अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस आवाज़ ने अंधेरे में रोशनी दी, उसी को आज खामोश कर देने की कोशिश हो रही है।
अब जीवन का अनुभव यही सिखाता है कि सम्मान एकतरफा नहीं होता। अगर सामने वाला आपकी सच्चाई, आपकी मेहनत और आपकी आत्मा की आवाज़ को न समझे, तो वह किसी भी रिश्ते में बने रहने का अधिकारी नहीं है।
जो लोग केवल अपने स्वार्थ के लिए आपकी छवि का उपयोग करें, वे मित्र नहीं — अवसरवादी होते हैं। और ऐसे लोगों को खोना नुकसान नहीं, बल्कि एक बड़ी ‘राहत’ होती है।
आज जब दिल टूट चुका है, अपनों से चोट मिली है, तब ज़रूरी है कि खुद को फिर से जोड़ा जाए। दूसरों से उम्मीदें लगाने की बजाय अब समय है स्वयं को प्राथमिकता देने का, और एक बार फिर नए जोश से, नए रास्ते पर चलने का।
अब उन लोगों के लिए जीवन नहीं जिएंगे जो केवल उपयोग कर चले जाते हैं। अब जीवन उनके लिए होगा — जो सच्चाई में विश्वास करते हैं, जो साथ निभाते हैं, और जो सम्मान देना जानते हैं।
जो अपमान मिला, वह एक सबक था। जो दिल टूटा, वह एक चेतावनी थी। और जो साथ छोड़ गए, वे दरअसल कभी आपके थे ही नहीं।
अब समय है खुद को नया आकार देने का।
अब समय है उन आवाज़ों को जवाब देने का जो चुप्पी में आपकी ताक़त देखती हैं।
और सबसे जरूरी — अब समय है अपने आत्मसम्मान को पहली प्राथमिकता देने का।
क्योंकि—
“जो आपका सम्मान नहीं करता, उसे खोना नुकसान नहीं होता — यह एक बड़ी राहत होती है।”
और जहां विश्वास टूट जाए, वहां रहना किसी आफत से कम नहीं।
यह दर्द केवल मेरा नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जिसने दिल से रिश्ते निभाये और बदले में सिर्फ छल और अपमान पाया। लेकिन यही अंत नहीं — यह एक नई सुबह की शुरुआत है।