शरद कटियार
जीवन एक अनमोल उपहार है, जिसे हर व्यक्ति अलग दृष्टिकोण से देखता है। किसी के लिए यह एक उत्सव है, तो किसी के लिए एक पहेली। कुछ लोग इसे जी भरकर जीते हैं, कुछ हर बात का विश्लेषण करते हैं, और कुछ केवल दोष ही खोजते रहते हैं। प्रसिद्ध विचार है:
“जीवन उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जो इसका आनंद ले रहे हैं,
उन लोगों के लिए मुश्किल है जो इसका विश्लेषण कर रहे हैं,
और उन लोगों के लिए सबसे खराब जो इसकी आलोचना कर रहे हैं।”
जो लोग जीवन को हर दिन एक उपहार मानकर उसका आनंद लेते हैं, वही वास्तव में सुखी रहते हैं। उनके लिए छोटी-छोटी खुशियाँ भी उत्सव का कारण बनती हैं। ये लोग वर्तमान में जीते हैं, हर क्षण को संजोते हैं और जीवन के रंगों को आत्मसात करते हैं। उनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है, जो उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ बनाए रखता है।
कुछ लोग जीवन को तर्क और विश्लेषण की दृष्टि से देखते हैं। वे हर घटना, हर निर्णय, और हर स्थिति को समझने की कोशिश में लगे रहते हैं। यद्यपि सोच-विचार ज़रूरी है, लेकिन जब यह अत्यधिक हो जाए तो व्यक्ति उलझनों में घिर जाता है। ऐसे लोग अक्सर वर्तमान को छोड़कर या तो भविष्य की चिंता में रहते हैं या फिर अतीत की उलझनों में। परिणामस्वरूप, वे जीवन के सरल सुखों से वंचित रह जाते हैं।
जीवन की आलोचना करने वाले व्यक्ति स्वयं तो दुखी रहते ही हैं, साथ ही अपने आसपास भी नकारात्मकता फैलाते हैं। वे हर चीज़ में दोष खोजते हैं—परिस्थितियों में, लोगों में और यहाँ तक कि खुद के जीवन में भी। यह दृष्टिकोण उन्हें निराशा और मानसिक थकान की ओर ले जाता है। आलोचना से ग्रस्त जीवन न तो आत्मविकास कर पाता है और न ही सच्चे अर्थों में शांति पा सकता है।
जीवन का सार आनंद में है। यदि हम जीवन को एक उत्सव की तरह देखें, तो हर दिन, हर क्षण एक नई प्रेरणा दे सकता है। विश्लेषण ज़रूरी है, लेकिन संतुलन के साथ। वहीं, आलोचना की आदत से जितना दूर रहें, उतना बेहतर।
अंततः, यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि हम जीवन को किस रूप में अपनाते हैं—एक उत्सव के रूप में या एक बोझ के रूप में।
तो चलिए, जीवन को जीएं, हर पल का आनंद लें और उसे सुंदर अनुभवों से भर दें।