फर्रुखाबाद, कमालगंज। ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत महरुपुर रावी निवासी एक पीड़ित युवक ने तहसील प्रशासन में सनसनी फैला देने वाला गंभीर आरोप लगाया है। पीड़ित ने लेखपाल अभय त्रिवेदी पर जाति प्रमाण पत्र बनवाने के एवज में ₹1 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों से शिकायत की है। मामले में आरटीआई के माध्यम से जुटाए गए तथ्यों ने लेखपाल तंत्र में गहरी पैठ बना चुके भ्रष्टाचार की परतें खोल दी हैं।
पीड़ित का दावा है कि उसका जाति प्रमाण पत्र पूर्व में बन चुका है। उसकी माता और बहन के भी खटीक जाति प्रमाण पत्र पहले से वैध रूप से जारी हैं। बावजूद इसके जब वह खुद के प्रमाण पत्र के नवीनीकरण अथवा सत्यापन के लिए लेखपाल से संपर्क में आया तो उससे ₹1 लाख की रिश्वत मांगी गई। पीड़ित के अनुसार उसने लेखपाल के चार निजी दलालों को ₹25,000 एडवांस में दिए थे। इसके बावजूद जब शेष राशि नहीं दी गई, तो प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया गया।
पीड़ित ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत जानकारी प्राप्त की, जिससे यह पता चला कि फरवरी 2025 तक खटीक जाति के कुल 109 प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। इसका स्पष्ट रिकॉर्ड पीड़ित के पास मौजूद है। ऐसे में यह सवाल और गंभीर हो जाता है कि पहले से जाति का दस्तावेज मौजूद होने के बावजूद एक आम नागरिक को प्रमाण पत्र के लिए इतना लंबा और भ्रष्ट प्रक्रिया क्यों झेलनी पड़ी।
पीड़ित के अनुसार ₹25,000 जो उसने एडवांस में दलालों को दिए थे, वे करीब 6 महीने बाद लौटाए गए। लेकिन आज तक उसका जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। यह पूरी प्रक्रिया एक सोची-समझी वसूली की रणनीति प्रतीत होती है, जिसमें दलालों के माध्यम से आम नागरिकों को फंसाया जा रहा है।
प्रशासन और समाज के सामने खड़े तीन बड़े सवाल:
क्यों पहले से उपलब्ध दस्तावेजों के बावजूद प्रमाण पत्र के नाम पर ₹1 लाख की मांग की गई?
यह दर्शाता है कि सिस्टम में ‘दस्तावेज आधारित सत्यापन’ की जगह ‘रुका हुआ भ्रष्टाचार’ हावी है।लेखपाल के चार निजी दलालों की भूमिका की जांच कब होगी?
यदि यह बात सही है, तो यह एक संगठित वसूली रैकेट का संकेत है। प्रशासन को इसकी निष्पक्ष जांच करानी चाहिए।फरवरी 2025 तक जारी किए गए 109 प्रमाण पत्रों की वैधता की समीक्षा होगी या नहीं?
RTI में दिए गए आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में एकतरफा लाभ और पक्षपात संभव है।
पीड़ित ने मामले की उच्चस्तरीय जांच और लेखपाल सहित सभी संलिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप को कितनी गंभीरता से लेता है और पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं।
उधर ,अभय त्रिवेदी ने बताया कि अनपर सभी आरोप निराधार हैं यह सब सूची समझी समझी रणनीति के तहत उनके ही गांव के बाबूजी नामक उनके एक सजातीय कर रहे हैं जो की उनके परिवार के व्यक्ति से प्रधानी का चुनाव हार गए थे वह अपनी खीज मिटा रहे हैं।