– स्वामी विवेकानंद के विचारों से सीखिए कि कैसे निरंतर अध्ययन और अनुभव से ही जीवन का सही मार्ग मिलता है।
भरत चतुर्वेदी
“जब तक जीना, तब तक सीखना। अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।”
— स्वामी विवेकानंद
यह कथन सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है। स्वामी विवेकानंद की यह बात हमें जीवन की सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण सच्चाई से परिचित कराती है — सीखना कभी समाप्त नहीं होता और अनुभव से मिला ज्ञान ही वास्तविक होता है।
हम भले ही कितनी भी किताबें पढ़ लें या कितनी भी डिग्रियाँ हासिल कर लें, लेकिन जीवन के असली सबक हमें अनुभव से ही मिलते हैं। हर दिन, हर परिस्थिति, हर व्यक्ति, हर असफलता और हर सफलता — हमें कुछ न कुछ सिखाती है। यही सतत सीखने की प्रक्रिया जीवन को अर्थ देती है।
स्वामी विवेकानंद मानते थे कि जीवन का प्रत्येक क्षण हमें कुछ न कुछ सिखाने के लिए आता है। यदि हम सजग और खुले मन से इसे स्वीकारें, तो हर अनुभव हमारा शिक्षक बन सकता है।
कई बार लोग ज्ञान को केवल किताबी बातों से जोड़ देते हैं, लेकिन वास्तविक ज्ञान वह होता है जो अनुभव से आता है। एक नाविक जितना समुद्र के बारे में जानता है, वह कोई किताब पढ़कर नहीं सीखा जा सकता। एक किसान को मौसम, मिट्टी और बीज का जो ज्ञान होता है, वह वर्षों की मेहनत और अनुभव से ही आता है।
अनुभव जीवन के कड़वे और मीठे दोनों पक्षों से होकर गुजरता है, और यही उसे सबसे प्रभावी शिक्षक बनाता है। यही कारण है कि अनुभवी व्यक्ति की सलाह को समाज में इतना सम्मान दिया जाता है।
सीखना सिर्फ बचपन या छात्र जीवन तक सीमित नहीं है। जो व्यक्ति यह सोचता है कि अब उसे सब कुछ आ गया है, वह दरअसल सीखने के मार्ग को रोक देता है और आत्म-विकास की प्रक्रिया से बाहर हो जाता है।
स्वामी विवेकानंद का कहना था कि “यदि आप सीखना बंद कर देते हैं, तो आप जीना भी बंद कर देते हैं।” इसीलिए हमें हर उम्र, हर अवस्था और हर अनुभव से सीखने का प्रयास करना चाहिए — चाहे वह व्यावसायिक हो, सामाजिक हो या व्यक्तिगत।
एक व्यक्ति जिसने कठिनाइयों का सामना किया है, जो गिरा और फिर खड़ा हुआ, उसके अंदर एक विशेष प्रकार की गहराई, सहनशीलता और समझदारी होती है। ऐसे लोग जीवन को बेहतर तरीके से समझते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं।
यही कारण है कि अनुभव से मिला ज्ञान न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है, बल्कि यह समाज को भी दिशा देने का कार्य करता है।
सीखना है,तो अनुभव को गुरु बनाइए
स्वामी विवेकानंद के इस प्रेरणादायक वाक्य से हम यह समझ सकते हैं कि जीवन का सही मार्ग अनुभव और सीखने की निरंतरता में छिपा है।
हर दिन को एक नया अध्याय मानिए, हर कठिनाई को एक नया पाठ और हर अनुभव को एक नया शिक्षक। जब तक जीवन है, तब तक सीखते रहना ही मनुष्य की सबसे बड़ी साधना है।
क्योंकि अनुभव से मिला ज्ञान ही वह रौशनी है, जो जीवन के अंधेरों को भी जगमग कर देती है।