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Monday, June 16, 2025

स्व. डॉ. अनिल शुक्ला : आयुर्वेद चिकित्सा के गौरव पुरुष ने कहा संसार को अलविदा, जनपद में शोक की लहर

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पीलीभीत: नगाधिराज हिमालय की तलहटी, देवहुति गंगा-गोमती (Devhuti Ganga-Gomti) के उद्गम स्थल की पावन भूमि, बांसुरी नगरी और टाइगर रिजर्व से समृद्ध तराई जनपद पीलीभीत (pilibhit) ने अपने एक बहुआयामी रत्न को सदा के लिए खो दिया। आयुर्वेद गौरव (Ayurveda pride), आयुर्वेदाचार्य, समाजसेवी, भाजपा नेता, वरिष्ठ चिकित्सक एवं प्रख्यात खिलाड़ी डॉ. अनिल शुक्ला का 11 जून 2025 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे।

12 जून को उनके छोटे भ्राता वरिष्ठ दीवानी अधिवक्ता पंडित सुनील शुक्ला ने गोपाल सिंह मोहल्ला स्थित मुक्तिधाम पर मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के अवसर पर नगर के सैकड़ों गणमान्य नागरिकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं, जनप्रतिनिधियों और शुभचिंतकों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

बाल सखा डॉक्टर देशबंधु मिश्रा की भावुक श्रद्धांजलि

डॉ. शुक्ला के सहपाठी और बालसखा, जनपद के प्रख्यात कवि डॉ. देशबंधु मिश्रा ‘तन्हा’ ने गहन शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका और अनिल शुक्ला का साथ बचपन से लेकर छात्र जीवन तक रहा। उन्होंने बताया कि ललित हरी आयुर्वेदिक कॉलेज से बीएएमएस करने के बाद डॉ. शुक्ला ने 1976 में चिड़ियादहा गांव में आयुर्वेदिक चिकित्सालय प्रारंभ किया। तत्पश्चात उन्होंने टाल मंडी स्थित दवाखाने से लेकर उपाधि महाविद्यालय रोड स्थित ‘शुक्ला क्लिनिक’ तक जनसेवा को ही अपना धर्म माना।

नाड़ी देखकर करते थे रोग का निदान

डॉ. शुक्ला की चिकित्सा पद्धति में नाड़ी परीक्षण अद्भुत था। वे बिना किसी जांच रिपोर्ट के रोग की पहचान कर दवा देने में निपुण थे। समाज के हर वर्ग ने उनकी चिकित्सा सेवा का लाभ उठाया।

एक के बाद एक पारिवारिक आघात

डॉ. शुक्ला के निधन से पूर्व ही उनके जीवन में गंभीर पारिवारिक आघात लगे। पहले पत्नी श्रीमती इंदिरा देवी शुक्ला का निधन हुआ, फिर 27 जनवरी 2025 को उनके इकलौते पुत्र अनेद्र शुक्ला का आकस्मिक निधन हो गया। पुत्रवधू श्रीमती रेनू शुक्ला ने बताया कि पति के निधन के बाद डॉ. शुक्ला अंदर से टूट गए थे। 11 जून को अचानक तबियत बिगड़ने पर उन्हें घर पर ही अंतिम समय में दम तोड़ना पड़ा।

अंतिम क्षणों में अकेली थीं पुत्रवधू रेनू

पति और सास के निधन के बाद दो छोटी बच्चियों आरना (6) और अग्रिमा (3) के साथ अकेली रह गईं रेनू शुक्ला ने रोते हुए कहा कि “अब और कितनी परीक्षाएं देनी होंगी”। यह दृश्य वहां उपस्थित नगर पालिका के पूर्व सभासद देवी सिंह एडवोकेट, पत्रकार अरुण भारद्वाज सहित सभी को भावुक कर गया।

समाजसेवा, शिक्षा और राजनीति में सक्रिय भूमिका

डॉ. अनिल शुक्ला छात्र जीवन से ही आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी, छात्र संघ और विभिन्न सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रहे। वे एक अच्छे क्रिकेटर, शतरंज के खिलाड़ी, साहित्य प्रेमी और वक्ता भी थे। उन्होंने श्री ब्राह्मण सेवा समिति के संरक्षक पद पर रहते हुए अनेक जनहित कार्यों में भागीदारी की।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा

डॉ. शुक्ला का जन्म तहसील फरीदपुर, जनपद बरेली के मूल निवासी स्व. सुरेंद्र नाथ शुक्ला (राजस्व विभाग कर्मी) और माता श्रीमती नारायणी देवी के सनातन धर्मी, आर्य समाजी परिवार में हुआ। उन्होंने इंटरमीडिएट बांके बिहारी इंटर कॉलेज से, बीएससी कानपुर विश्वविद्यालय से और बीएएमएस ललित हरी आयुर्वेदिक कॉलेज पीलीभीत से किया। अपने 75 वर्षों के जीवन में उन्होंने सेवा, सादगी, नैतिकता और त्याग के साथ जीवन जिया।

जनपद में शोक की लहर

डॉ. शुक्ला के निधन की खबर फैलते ही पीलीभीत में शोक की लहर दौड़ गई। भाजपा के पूर्व मंत्री डॉ. विनोद तिवारी, लोकतंत्र सेनानी डॉ. सुधीर मिश्रा, डॉ. राममूर्ति गंगवार, डॉ. सुभाष त्रिवेदी, डॉ. सहदीप अवस्थी समेत अनेक गणमान्य जनों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. शुक्ला को युगों-युगों तक आदर्श आयुर्वेद चिकित्सा सेवा के लिए याद किया जाएगा। जनपद ने आज एक यशस्वी चिकित्सक, समाजसेवी, साहित्य प्रेमी और मानवता के पुजारी को खो दिया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे एवं परिजनों को यह अपार दुःख सहने की शक्ति दे।

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