-राजस्व विभाग की मिलीभगत से सरकारी तालाबों पर कब्जा, लेखपाल-पति और प्रधान-पत्नी की जोड़ी सवालों के घेरे में
फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के ‘भू-माफिया मुक्त अभियान’ के दावों के बीच फर्रुखाबाद जनपद की सदर तहसील स्थित बढ़पुर ब्लॉक एक बड़ी विडंबना बनता जा रहा है। यहाँ वर्षों से नियमों को दरकिनार कर राजस्व विभाग के अधिकारी एवं कर्मी खुलेआम मनमानी कर रहे हैं, और सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जे कराए जा रहे हैं।
लेखपाल-पति, प्रधान-पत्नी: एक ही ब्लॉक में दोनों पदों पर सवाल
ब्लॉक के ही एक मह्त्वपूर्ण इलाके अल्लाहनगर उर्फ़ बढ़पुर में संजीव दुबे बतौर लेखपाल तैनात हैं, जबकि उनकी पत्नी अभिलाषा दुबे इसी ब्लॉक के एक गांव की ग्राम प्रधान हैं। ऐसे में पारदर्शिता और निष्पक्षता के मूल सिद्धांत पर ही सवाल खड़ा हो गया है। शासन के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद इस तरह की तैनाती कैसे संभव हुई — यह एक बड़ी जांच का विषय है।
राजस्व संहिता की धारा 11 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे प्रशासनिक क्षेत्र में नियोजन नहीं पा सकता जहाँ से उसका पारिवारिक हित जुड़ा हो। बावजूद इसके यह तैनाती न केवल वर्षों से कायम है, बल्कि भूमि प्रकरणों में इनकी भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है।
सरकारी तालाबों पर हो रहा कब्जा: प्रशासन मौन
ब्लॉक के ग्राम भूपतिपट्टी में राजस्व अभिलेखों के अनुसार लगभग 2.5 बीघा का सरकारी तालाब है। वर्ष 2022 में शिकायत के बाद तहसील प्रशासन ने कब्जेदारों को बेदखल करने का आदेश जारी किया और जुर्माना भी लगाया गया। पर दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कब्जा जस का तस बना हुआ है।
दूसरा बड़ा मामला ग्राम नेकपुर कलां से सामने आया है, जहाँ लगभग 1.8 बीघा के सरकारी तालाब पर बाकायदा मिट्टी डलवा कर कब्जा करवा दिया गया। स्थानीय लोगों ने विरोध दर्ज कराया, मगर लेखपाल और राजस्व निरीक्षक की मौजूदगी में ‘नक्शा मिलान’ के नाम पर कागज़ी कार्रवाई करके कब्जा पक्का करा दिया गया।
शासन तक पहुँची बात, कार्रवाई नदारद
मामले की जानकारी मंडल और जिला प्रशासन को भी दी जा चुकी है। यूपी शासन की ‘मिशन भूमि मुक्त योजना’ के अंतर्गत हर जिले से सरकारी भूमि मुक्त कराने के आंकड़े मांगे गए हैं। परंतु इस ब्लॉक से लगातार अपवाद सामने आ रहे हैं। अप्रैल 2024 से मई 2025 के बीच ब्लॉक बढ़पुर में कुल 18 सरकारी ज़मीनों पर कब्जे की शिकायतें हुईं, जिनमें से सिर्फ 2 मामलों में आंशिक कार्रवाई हुई।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा खेल लेखपाल, कानूनगो और तहसील प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है। राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी कर या सीमांकन में गड़बड़ी करके भूमाफियाओं को फायदा पहुँचाया जा रहा है। प्रधान और लेखपाल की आपसी ‘सहमति’ के चलते विरोध करने वाले ग्रामीणों को धमकाया तक गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार: सरकारी तालाब, चारागाह, एवं रास्ते की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाना अनिवार्य है।
राजस्व व पंचायती विभाग के कर्मियों की पारदर्शी तैनाती सुनिश्चित की जानी चाहिए।
परंतु इन आदेशों को ज़मीनी स्तर पर लागू कराने की ज़िम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, वही इसे सबसे अधिक नजरअंदाज कर रहे ,ब्लॉक में चल रही यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि शासन की भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के दावे को भी झूठा सिद्ध करती है। यदि शासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो आने वाले समय में ये अवैध कब्जे स्थायी रूप ले सकते हैं, जो ग्रामीण जनता के जल-स्रोत और सामाजिक संपत्तियों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।