– जनगणना के जाति कॉलम में सिर्फ “कुर्मी” ही लिखने की अपील, समाज में जागरूकता बढ़ाने पर जोर
लखनऊ: कुर्मी क्षेत्रीय सभा Lucknow (राष्ट्रीय कार्य क्षेत्र) की ओर से आगामी प्रस्तावित जातिगत जनगणना को लेकर समाज के बीच जागरूकता अभियान शुरू कर दिया गया है। सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीएम कटियार ने एक पत्र जारी कर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं कि जनगणना के दौरान समाज के सभी लोग अपनी जाति सिर्फ “कुर्मी” (Kurmi) ही दर्ज कराएं, न कि अपनी उपजातियां जैसे पटेल, वर्मा, सिंह, कटियार आदि।
डीएम कटियार ने अपने पत्र में कहा है कि भारत में लगभग 1530 उपजातियां प्रचलित हैं, जिनमें से कई कुर्मी समाज से जुड़ी होने के बावजूद जनगणना में अलग-अलग नामों से दर्ज होती हैं। इससे समाज की वास्तविक जनसंख्या कम दिखाई देती है और इससे राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षिक भागीदारी पर सीधा असर पड़ता है।
दिशा-निर्देशों की प्रमुख बातों मे जनगणना के समय जब कर्मचारी जाति पूछे, तो बिना हिचक “कुर्मी” शब्द ही बताएं। उपजाति या बिरादरी के नाम जैसे पटेल, कटियार, चौधरी, वर्मा, सिंह आदि नहीं लिखवाएं। समाज के छोटे-बड़े सभी कार्यक्रमों में इस मुद्दे को उठाया जाए और लोगों को जागरूक किया जाए।कुर्मी समाज के संगठन, युवा, महिलाएं, जनप्रतिनिधि और कर्मचारी एकजुट होकर इस दिशा में कार्य करें।
डीएम कटियार ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए आंकड़ों में भी स्पष्ट किया गया है कि “कुर्मी, कुर्मी क्षत्रिय, कुर्मी मेहता, कुर्मी पटेल, कुर्मी प्रधान” जैसी उपजातियां भी अंततः कुर्मी जाति में ही आती हैं। लेकिन इनका अलग-अलग उल्लेख समाज की संख्या और अधिकारों को कमजोर करता है।
सभा ने सभी कुर्मी समाज के सदस्यों, संगठनों, नेताओं और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे इस अभियान को अपनी जिम्मेदारी समझें और “एक शब्द – कुर्मी, एक पहचान – कुर्मी” के संकल्प के साथ आगे बढ़ें। डीएम कटियार ने कहा कि यह सिर्फ एक जातिगत पहचान का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, एकता और अधिकारों की रक्षा से जुड़ा मुद्दा है।