लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. मोहम्मद इसराइल अंसारी और उनकी शोध टीम ने कृषि क्षेत्र में एक अहम वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। टीम ने एक पर्यावरण-अनुकूल नैनोप्रौद्योगिकी विकसित की है, जिसके ज़रिए लोकप्रिय पत्तेदार सब्जी लेट्यूस (सलाद पत्ता) की उपज और पौष्टिकता दोनों में वृद्धि की जा सकती है।
अध्ययन का नेतृत्व कर रही शोधार्थी *पुष्पांजलि यादव* और उनकी टीम ने गामा-अमीनोब्यूट्रिक एसिड (GABA) आधारित स्वर्ण नैनोकण तैयार किए हैं। इन नैनोकणों के प्रयोग ने लेट्यूस पौधों की वृद्धि दर, पोषण को अवशोषित करने की क्षमता और पर्यावरणीय तनावों को सहन करने की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है।
शोध के अनुसार, गाबा-स्वर्ण नैनोकणों के प्रयोग से बीजों का अंकुरण बेहतर हुआ है। इसके साथ ही जड़ों और तने की वृद्धि में वृद्धि देखी गई है और पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ी है। एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम की गतिविधि में भी वृद्धि पाई गई, जो पौधे को हानिकारक तनावों से लड़ने में मदद करती है।
खनिजों के अवशोषण की दक्षता में भी सुधार हुआ — जैसे कि कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन — जिससे लेट्यूस पौधे और अधिक स्वस्थ बने। ये नैनोकण पौधों को पोषण देने और उनका विकास बेहतर बनाने में सहायक साबित हुए हैं।
यह उल्लेखनीय अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल Biocatalysis and Agricultural Biotechnology में प्रकाशित किया गया है, जो इस रिसर्च की वैज्ञानिक गंभीरता और प्रासंगिकता को दर्शाता है।
इस खोज का कृषि जगत पर बड़ा असर हो सकता है: नैनोबायोटेक्नोलॉजी के इस इस्तेमाल से छोटे-पैमाने के किसानों से लेकर बड़े व्यावसायिक उत्पादन तक, लेट्यूस की पैदावार अधिक टिकाऊ और पोषक-समृद्ध बनाए जाने की संभावना है।





