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Thursday, October 9, 2025

10 अक्टूबर को करवा चौथ, व्रत के इस 5 नियम से पति की उम्र होगी लंबी: मुख्य आचार्य मयंक शरण शास्त्री

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लखनऊ: श्री बालक राम हनुमान मंदिर जानकीपुरम गार्डेन मंदिर के मुख्य आचार्य मयंक शरण शास्त्री (Chief Acharya Mayank Sharan Shastri) ने बताया कि प्रतिवर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनों द्वारा करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत रखने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह व्रत दस अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन अपने पति की सलामती और दीर्घायु होने की कामना के साथ दिन भर निर्जला उपवास रख माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आराधना करती हैं।

इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय व्रत तोड़ा जाता है। व्रती पहले चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती हैं। तत्पश्चात छलनी से चंद्रमा के साथ पति का चेहरा निहारती हैं। 10 अक्टूबर की रात 7.58 बजे के बाद चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना कर पति की लंबी आयु, सौभाग्य व सलामती की कामना करती हैं।

करवा चौथ व्रत के 5 खास नियम

करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी ग्रहण करना शुभ होता है, इसके बाद किसी भी चीज का सेवन न करें।
करवा चौथ के व्रत की कथा का पाठ हमेशा 16 श्रृंगार और लाल जोड़े में करना चाहिए।
चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत का पारण करें अन्यथा व्रत अधूर माना जाता है।
इस दिन निर्जला उपवास रखें।
व्रत में तामसिक चीजों का सेवन करें और नुकीली चीजों का उपयोग न करें।

पूजन में करवे का प्रयोग और उसकी मान्यता

व्रत के दिन शाम को चंद्र दर्शन से पहले स्त्रियां मिट्टी के करवे में जल भरती हैं, उसे पूजा स्थान पर रखती हैं। भगवान गणेश,शिव-पार्वती,कार्तिकेय और चौथ माता का आवाहन करती हैं। करवे के ऊपर सराई में चावल, द्रव्य और मिठाई रखकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। यह करवा न केवल पूजा का पात्र है, बल्कि यह स्त्री की निष्ठा, प्रेम और संयम का प्रतीक भी बन जाता है।

करवा की कथा (मुख्य कहानी)

करवा का पतिव्रता गुण: करवा नाम की एक स्त्री का पति नदी में नहाने गया तो एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया।
पति की रक्षा: करवा ने अपनी सतीत्व और तपोबल से मगरमच्छ को कच्ची डोरी से बांध दिया और उसे यमराज के पास ले गई।
यमराज से अनुग्रह: उसने यमराज से मगरमच्छ को दंड देने और यमलोक भेजने का आग्रह किया, क्योंकि उसने उसके पति को पकड़ा था।
यमराज की प्रतिक्रिया: यमराज ने मना कर दिया, लेकिन करवा के श्राप से भयभीत होकर उन्होंने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु का वरदान दिया।

वीरवती की कथा

वीरवती का व्रत: वीरावती नाम की एक कन्या अपने मायके में करवा चौथ का निर्जला व्रत करती है।
भाइयों द्वारा छल: भूखी-प्यासी वीरावती से उसका व्रत नहीं हो पाता, तो उसके भाइयों ने छल से एक पेड़ के पीछे आग जलाकर झूठा चांद दिखा दिया।
पति की मृत्यु: वीरावती ने झूठा चांद देखकर अपना व्रत तोड़ दिया, जिसके बाद उसके पति की मृत्यु हो गई।
पति का पुनर्जीवन: देवी इंद्रानी के कहने पर, वीरावती ने दोबारा विधिपूर्वक व्रत रखा और बाद में अपनी सबसे छोटी भाभी की मदद से अमृत से अपने पति को जीवित कर लिया।

द्रौपदी का संदर्भ

पांडवों का संकट: महाभारत काल में पांडवों पर संकट आया, तो द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछा।
कृष्ण का निर्देश: श्रीकृष्ण ने उन्हें करवा चौथ का व्रत करने को कहा, जिसका पालन करते हुए द्रौपदी ने व्रत रखा।
संकट से मुक्ति: द्रौपदी की भक्ति और करवा चौथ के व्रत के प्रभाव से पांडवों को संकट से मुक्ति मिली।
इन कथाओं के माध्यम से पति के लिए पत्नी के स्नेह, भक्ति और अटूट विश्वास का वर्णन है, जो करवा चौथ के व्रत को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

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