कन्नौज में पत्रकार अभय कटियार को फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश नाकाम
कन्नौज। जिले में पुलिस की मनमानी और पत्रकारों के उत्पीड़न की शर्मनाक कहानी सामने आई है। पत्रकार अभय कटियार को फर्जी रंगदारी व धमकी के मुकदमे में गिरफ्तार कर जेल भेजने की कोशिश पुलिस को ही भारी पड़ गई। अदालत ने पुलिस की कहानी को झूठा करार देते हुए न केवल पत्रकार को जमानत दे दी बल्कि पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई।
शुक्रवार को गोलकुआं मानपुर में पत्रकार अभय कटियार और दरोगा नीलम सिंह के पुत्र के बीच सड़क पर गाड़ी निकालने को लेकर हल्की बहस हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कोई झगड़ा नहीं हुआ, लेकिन शाम होते-होते पत्रकार पर रंगदारी और धमकी का मुकदमा दर्ज हो गया।
पुलिस ने अपनी एफआईआर में दावा किया कि पत्रकार ने शराब के लिए पैसे मांगे और जान से मारने की धमकी दी — जो न केवल हास्यास्पद था, बल्कि तथ्यविहीन भी। पत्रकार स्वयं एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं, उनकी पत्नी शासकीय सेवा में, और खुद अपनी गाड़ी से चलते हैं। क्या वो शराब के लिए किसी दरोगा के बेटे से पैसे मांगेंगे?
कोर्ट में खुली पुलिस की पोल, कहा- कहानी गढ़कर लाए हो! मामला जब न्यायालय में पेश हुआ तो एसीजेएम स्नेहा ने पुलिस के आरोपों को सुनते ही फटकार लगाई।
यह घटना पुलिस की कार्यशैली पर तमाचा साबित हुई। कोर्ट ने पत्रकार अभय कटियार को शनिवार को ही तुरंत जमानत प्रदान कर दी।
अदालत ने पूछा, शिकायतकर्ता खुद मौजूद क्यों नहीं?
एफआईआर में शिकायतकर्ता के रूप में दरोगा नीलम सिंह का नाम दर्ज था, लेकिन खुद शिकायत करने वह कभी घटनास्थल पर मौजूद नहीं थीं। यह भी खुलासा हुआ कि सारा मामला दरोगा के बेटे की दबंगई और रौब के चलते खड़ा किया गया।
स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि यह पूरा प्रकरण सिर्फ पुलिसिया मनमानी नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव का परिणाम है। पत्रकार अभय कटियार ने पूर्व में भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक के खिलाफ सवाल उठाए थे। इसके बाद उन्हें कथित तौर पर झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी भी दी गई थी।
यह मामला साबित करता है कि जब पत्रकार सच की कलम चलाता है, तो कुछ ताकतें उसे रोकना चाहती हैं। लेकिन जब न्याय की अदालत में सच्चाई सामने आती है, तो झूठ खुद ही बेनकाब हो जाता है।
इस मामले ने न केवल एक निर्दोष पत्रकार को राहत दी है, बल्कि यूपी पुलिस को भी आईना दिखा दिया है।