नई दिल्ली: दुनियाभर के ज्वेलरी बाजार (jewellery market) में फिलहाल भारत की हिस्सेदारी महज 6 फीसदी है, यानी 94 फीसदी बाजार अब भी भारत की लिए खुला है। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले रत्न और आभूषण (जेम्स एंड ज्वेलरी) पर टैरिफ बढ़ा दिया है। इससे पहले, भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को 9.94 अरब डॉलर यानी करीब 87 हजार करोड़ रुपये के रत्न और आभूषण निर्यात किए थे। यह अमेरिका के कुल हीरा आयात का करीब 44.5 प्रतिशत था। उस समय ज्वेलरी पर 6 फीसदी और डायमंड पर कोई शुल्क नहीं था। अप्रैल 2025 से पहले तक टैरिफ दरें तुलनात्मक रूप से कम थीं, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
मौजूदा टैरिफ दरों के अनुसार, ज्वेलरी पर कुल मिलाकर 16 फीसदी (6% बेस + 10% एक्स्ट्रा) और डायमंड पर 10 फीसदी (0% बेस + 10% एक्स्ट्रा) शुल्क लग रहा है। इसका सीधा असर उत्पाद की कीमत पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, जो ज्वेलरी पहले 100 डॉलर में अमेरिका में बिकती थी, वह अब 116 डॉलर की हो चुकी है। इससे निर्यात में 15 से 20 फीसदी तक की गिरावट देखी जा सकती है।
अब अमेरिका ने नए टैरिफ का ऐलान कर दिया है, जिसके अनुसार ज्वेलरी पर 31 फीसदी (6% + 25%) और डायमंड पर 25 फीसदी (0% + 25%) शुल्क लगेगा। इससे 100 डॉलर की ज्वेलरी अब अमेरिका में 131 डॉलर में बिकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कीमत वृद्धि के कारण अमेरिकी ग्राहक सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे भारत के लाखों कारीगरों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। इस बदलाव से राजेश एक्सपोर्ट्स, टाइटन और कल्याण ज्वेलर्स जैसी कंपनियों पर सीधा असर पड़ सकता है।
हालात को देखते हुए, भारत के पास दो प्रमुख रास्ते हैं — पहला, अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बाइलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना और दूसरा, यूरोपीय बाजारों में डायमंड और ज्वेलरी के निर्यात को बढ़ावा देना। इससे नुकसान की भरपाई की जा सकती है।