यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। जिले में अफसरशाही अपने चरम पर है, जबकि जनप्रतिनिधियों की भूमिका लगभग नगण्य होती जा रही है। सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन महज खानापूर्ति तक सीमित रह गया है, वहीं समाधान दिवसों की उपयोगिता भी लगातार घट रही है। जिले की गौशालाओं की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है, जिनका निरीक्षण अब लगभग बंद हो चुका है।
प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना जैसी कई सरकारी योजनाओं का लाभ जिले की जनता को आधे-अधूरे रूप में ही मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों को समय पर अनुदान और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। प्रशासनिक लापरवाही के चलते जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बुरा हाल थानों,और ब्लाकों का है,एक सत्तारुढ़ नेता ने तो पूरा ब्लॉक ही शिकंजे में ले लिया,जहां जमकर धनउगाही हो रही,प्रधान और ग्राम सचिव कागजों में ही योजनाएं पूर्ण कर रहे,सबसे ज्यादा मुस्लिम वर्ग को लाभ से वंचित होना पड़ रहा।
जिले की गौशालाओं में पशुओं के लिए उचित देखभाल की व्यवस्था नहीं है। भोजन और पानी की कमी के कारण कई पशु बीमार हो रहे हैं, लेकिन निरीक्षण प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो चुकी है। पहले जहां जिलाधिकारी और अन्य अधिकारी नियमित रूप से दौरा करते थे, अब गौशालाओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
समाधान दिवसों का आयोजन केवल औपचारिकता बनकर रह गया है। जनता की शिकायतें दर्ज तो हो रही हैं, लेकिन उनका समाधान समय पर नहीं किया जा रहा। अधिकारी केवल रिपोर्ट बनाकर फाइल बंद कर रहे हैं। इससे आम जनता में नाराजगी बढ़ रही है।
जनता का कहना है कि अफसरशाही के चलते उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और कुछ के क्षेत्र से ही लापता हो जाने से आम जनमानस को राहत नहीं मिल रही। लोगों ने प्रशासन से सरकारी योजनाओं को ठीक से लागू करने, गौशालाओं की निगरानी बढ़ाने और समाधान दिवसों को प्रभावी बनाने की मांग की है।
जिले में अफसरशाही हावी, कई जनप्रतिनिधि निष्क्रिय, नहीं जाते क्षेत्र
