– मॉडल गांव पर विशेष चर्चा गांव-गांव रोजगार सेवाओं को जोड़ने का आवाहन
आई ए एस डॉ. हीरा लाल ने भरी ऊर्जा, बोले गाँव के विकास से ही होगा भारत का विकास
लखनऊ। राजधानी के होटल दयाल गेटवे (किसान बाजार) में जन सहयोग संगठन का वार्षिक सम्मेलन गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। यह आयोजन संगठन के सामाजिक, शैक्षणिक और विकासोन्मुखी कार्यों की झलक प्रस्तुत करने वाला साबित हुआ। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के अलावा गुजरात, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर इस आयोजन को सर्वजन भागीदारी का स्वरूप प्रदान किया।
सम्मेलन का केंद्रीय विषय “ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की दिशा” रहा। इसमें शिक्षा, व्यवसाय, नवाचार, स्टार्टअप्स और आगामी पंचायत चुनाव पर विस्तृत परिचर्चा हुई।
वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण और नेतृत्व क्षमता का मूल स्रोत है। युवाओं को स्वदेशी संसाधनों के उपयोग से स्वरोजगार और ग्रामोदय की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए।
मॉडल गांव की परिकल्पना और गांव-गांव रोजगार सेवाओं को जोड़ने पर विशेष चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि यदि प्रत्येक गांव अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर “मॉडल ग्राम” बनने का लक्ष्य निर्धारित करे, तो भारत आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम कर सकता है।
कार्यक्रम मे आईएएस डॉ. हीरा लाल ने अपने जोशीले संबोधन से युवाओं में नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने कहा —
> “गांव का विकास ही भारत के विकास की असली कुंजी है। जब गांव मजबूत होंगे, तो राष्ट्र अपने आप सशक्त होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि जन सहयोग संगठन जैसे मंच युवाओं को दिशा और समाज को गति देने का कार्य कर रहे हैं।
वहीं,मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव अरुण सिन्हा ने शिक्षा और नैतिकता को विकास की दो अपरिहार्य धुरी बताया।
सेवानिवृत्त डीआईजी (जेल) बी.आर. वर्मा ने युवाओं को सामाजिक नेतृत्व में आगे आने का आह्वान किया और कहा कि परिवर्तन केवल भाषणों से नहीं, बल्कि कर्म से संभव है।
सम्मेलन में गुजरात के प्रख्यात व्यापारी दान पटेल,
ए.के.टी.यू. (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय) के पूर्व कुलपति कृपा शंकर सिंह,
तथा प्रोफेसर देवाशीष दास गुप्ता ने नवाचार और स्टार्टअप पर प्रेरक सत्र संचालित किया।
उन्होंने कहा कि यदि गांव के युवा तकनीक और नवाचार की दिशा में काम करें, तो वे न केवल रोजगार के अवसर सृजित करेंगे बल्कि स्थानीय समस्याओं का समाधान भी स्वयं कर सकेंगे।
गुजरात मॉडल की भांति “रोजगार के साथ उद्यम को जोड़ने” का संदेश दिया गया ताकि गांव आत्मनिर्भर और उत्पादक बन सकें।
इस दौरान 10 समूहों का गठन कर विभिन्न सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों पर चर्चा करने की प्रेरणा दी गई, जिससे समाज में सहभागिता और सामूहिक सोच को बल मिलेगा।
कार्यक्रम में युवाओं का उत्साह देखने योग्य रहा। कई युवा प्रतिभागियों ने अपने ग्राम स्तर पर चलाए जा रहे सामाजिक अभियानों का अनुभव साझा किया।
वक्ताओं ने युवाओं से आगामी 2026 पंचायत चुनाव में भागीदारी करने और अपने गांव के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालने का आह्वान किया।
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि जन सहयोग संगठन का लक्ष्य केवल कार्यक्रम आयोजित करना नहीं, बल्कि समाज में व्यावहारिक परिवर्तन और आत्मनिर्भरता की भावना को जमीनी स्तर तक पहुँचाना है।
कार्यक्रम के अंत में संगठन के पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों का आभार किया।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी संगठन शिक्षा, रोजगार, नवाचार और ग्राम विकास से जुड़े संवादों को निरंतर आगे बढ़ाएगा।
> “जब समाज संगठित होकर सोचता है, तभी परिवर्तन संभव होता है।
पंचायत से संसद तक — जनसहयोग ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।”