लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित इनकम टैक्स ऑफिस में आईआरएस गौरव गर्ग को जॉइंट कमिश्नर ने पीट दिया। मामले में गौरव गर्ग ने योगेंद्र मिश्रा पर जानलेवा हमले की एफआईआर दर्ज कराई है।
बता दें कि नरही स्थित इनकम टैक्स के दफ्तर में छठें तल पर बृहस्पतिवार को आईआरएस के केबिन में बैठक चल रही थी। इसी दौरान किसी बात को लेकर बहस हो गई जिस पर जॉइंट कमिश्नर योगेंद्र मिश्रा ने आईआरएस गौरव गर्ग पर हमला कर दिया। हमले में गौरव गर्ग घायल हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस उन्हें सिविल अस्पताल लेकर पहुंची। जिसके बाद आईआरएस गौरव गर्ग ने मुकदमा दर्ज कराया है।
आईआरएस रवीना त्यागी के पति हैं गौरव गर्ग
बताया जा रहा है कि गौरव गर्ग के नाक से खून बहने लगा। मामला गंभीर देख पुलिस उन्हें एंबुलेंस से सिविल अस्पताल ले गई, जहां उनका इलाज चल रहा है। गौरव गर्ग आईपीएस रवीना त्यागी के पति हैं। रवीना यहां डीसीपी मध्य के पद पर तैनात रही हैं। दो अधिकारियों के बीच हुए विवाद के बाद महकमे में चर्चा तेज हो गई है। इनकम टैक्स दफ्तर में तनाव का माहौल है।
किसी को भी कर्मचारियों ने भीतर नहीं जाने दिया। यही नहीं, पुलिस भी पूरे मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रही है। उधर, अस्पताल पहुंचे गौरव गर्ग ने डॉक्टरों से कान में सनसनाहट, दाएं पैर के घुटने में चोट और चक्कर आने की शिकायत की। इसके बाद उन्हें भर्ती किया गया। डॉक्टर गौरव गर्ग का इलाज कर रहे हैं। उनकी हालत खतरे से बाहर है।
विवाद के पीछे की वजह
मिली जानकारी के अनुसार, दोनों अफसरों के बीच यह विवाद आरटीआई के एक संवेदनशील मामले को लेकर हुआ था। योगेंद्र मिश्रा ने आरोप लगाया है कि उनका तबादला एक राजनीतिक साजिश के तहत किया जा रहा है और इसके कारण वे सवाल उठा रहे थे। गौरव गर्ग ने कहा कि इस मुद्दे को सार्वजनिक कर विभाग की छवि खराब की गई। इस तकरार ने तनाव को बढ़ा दिया, जो अंततः हाथापाई तक पहुंच गया।
आयकर विभाग में हलचल
यह घटना न केवल दो अफसरों के बीच व्यक्तिगत झगड़े को दर्शाती है, बल्कि इससे आयकर विभाग के कामकाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। विभाग के कर्मचारियों के बीच तनाव और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। अधिकारियों ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे व्यवहार से विभाग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचता है और इससे आम जनता का विश्वास डगमगा सकता है।
कानूनी और प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी दफ्तरों में इस प्रकार की हिंसक घटनाएं गंभीर हैं और इससे सरकारी तंत्र की छवि खराब होती है। वे सुझाव देते हैं कि ऐसे मामलों को तुरंत सुलझाने के लिए विभागीय स्तर पर मध्यस्थता और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध करानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।