लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों (medical colleges) में एमबीबीएस इंटर्नशिप (MBBS Internship) कर रहे छात्र छात्राओं ने अपने मानदेय में वृद्धि की मांग तेज कर दी है। केजीएमयू, लोहिया संस्थान, जिम्स ग्रेटर नोएडा, यूपी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई समेत राज्य के अन्य सरकारी और स्वशासी मेडिकल कॉलेजों (medical colleges) के इंटर्न डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक (Brijesh Pathak) को पत्र लिखकर अपनी कठिनाइयों से अवगत कराया है।फिलहाल, उत्तर प्रदेश में इंटर्न डॉक्टरों को मात्र 12,000 रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, जो देश में सबसे कम है।
वहीं, केंद्रीय मेडिकल कॉलेज जैसे बीएचयू और एएमयू में यह राशि 26,300 रूपये है, कर्नाटक में 32,000 रूपये पश्चिम बंगाल में 32,000 रूपये और असम में 35,000 रूपये प्रतिमाह है। यूपी के इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि इस मामूली राशि में भोजन, आवास, परिवहन, कोचिंग/परीक्षा शुल्क और अन्य जरूरी खर्च पूरे करना असंभव है। डॉक्टरों ने बताया कि वे ओपीडी संचालन, ऑपरेशन में सहायता, आईसीयू सेवाएं, इमरजेंसी ड्यूटी, लेबर रूम और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में 24×7 सेवा देते हैं।
इसके बावजूद उन्हें न्यूनतम पारिश्रमिक भी नहीं मिल पा रहा। यह न केवल उनके पेशेवर सम्मान को ठेस पहुंचाता है बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी असुरक्षित बनाता है। इस मुद्दे पर केजीएमयू के इंटर्न डॉक्टर अनिल वर्मा ने कहा, हम दिन रात मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं, लेकिन हमें जो मानदेय दिया जा रहा है, वह हमारी मेहनत और जिम्मेदारियों के बिल्कुल विपरीत है।
महंगाई के इस दौर में 12,000 रूपये में एक इंटर्न का जीवन चलाना बेहद कठिन है। सरकार से निवेदन है कि जल्द से जल्द मानदेय बढ़ाया जाए।इंटर्न डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने सरकार से यह अपील की है कि उन्हें वित्तीय, पेशेवर और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि वे पूरी लगन और गरिमा के साथ मरीजों की सेवा कर सकें।