– वित्तीय अनियमितता और लापरवाही पर जताई नाराजगी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) के औद्योगिक विकास मंत्री (Industrial Development Minister ) नंद गोपाल गुप्ता (Nand Gopal Gupta) ‘नंदी’ ने मंगलवार को हुई एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान अफसरशाही पर तीखे सवाल खड़े किए। मंत्री नंदी ने खासतौर पर वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में स्मार्टफोन की जगह टैबलेट खरीदने के फैसले पर नाराजगी जताई, जिससे करीब 3100 करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया।
उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला योजनाबद्ध तरीके से नहीं लिया गया और इसके पीछे जवाबदेही तय की जानी चाहिए। मंत्री ने सवाल उठाया कि जब स्मार्टफोन की खरीद का प्रस्ताव था, तो आखिर वित्तीय वर्ष के अंत में टैबलेट की खरीद क्यों की गई? नंद गोपाल नंदी ने लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा) के मास्टरप्लान में हुए बदलावों पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे बदलाव किसके हित में किए जा रहे हैं, इसकी पारदर्शी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की औद्योगिक नीति में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मंत्री ने एक विशेष कंपनी को FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के तहत मिली सब्सिडी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि क्या यह प्रक्रिया नियमानुसार हुई या किसी विशेष लाभार्थी को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को मोड़ा गया।
इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि कई विभागों में एक ही जगह वर्षों से तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों की पोस्टिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ है। “वर्षों से जमे हुए अफसरों और कर्मियों को हटाना चाहिए था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई,” उन्होंने कहा। मंत्री नंदी ने अफसरों को स्पष्ट संदेश दिया कि वह जवाबदेही से नहीं बच सकते। उन्होंने कहा कि सरकार विकास और पारदर्शिता के लक्ष्य से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। बैठक में उन्होंने संबंधित विभागों से इन सभी मुद्दों पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।