संवाददाता,
काहिरा/नई दिल्ली: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और गाज़ा पट्टी में जारी संघर्ष के बीच मिस्र की राजधानी काहिरा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गाज़ा शांति सम्मेलन (Gaza Peace Conference) में भारत की ओर से विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह (Minister of State for External Affairs Kirti Vardhan Singh ) हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित दर्जनों देशों के शीर्ष प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इस सम्मेलन का उद्देश्य गाज़ा क्षेत्र में जारी मानवीय संकट को समाप्त करने और वहां स्थायी शांति एवं पुनर्निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाने पर वैश्विक सहमति बनाना है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कीर्तिवर्धन सिंह इस सम्मेलन में भारत की तरफ़ से “शांति, संवाद और विकास के त्रि-आधार मॉडल” को प्रस्तुत करेंगे। वे यह संदेश देंगे कि भारत हर प्रकार की हिंसा का विरोध करता है और क्षेत्र में मानवीय सहायता, चिकित्सा समर्थन और पुनर्निर्माण में साझेदार बनने के लिए तैयार है।
के दौरान भारत की ओर से गाज़ा के नागरिकों के लिए मानवीय राहत सामग्री, दवाइयों और आपदा सहायता बढ़ाने की घोषणा भी संभव है। विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह कई देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय वार्ताएँ भी करेंगे, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मिस्र और अमेरिका प्रमुख हैं।
कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह सम्मेलन भारत के लिए न केवल वैश्विक मंच पर अपनी शांति नीति को मजबूत करने का अवसर है, बल्कि भारत की “वसुधैव कुटुंबकम्” की अवधारणा को व्यवहार में प्रस्तुत करने का भी प्रतीक है।
गौरतलब है कि गाज़ा पट्टी में लंबे समय से जारी संघर्ष ने हजारों नागरिकों को प्रभावित किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इस सम्मेलन पर टिकी हैं कि क्या यह स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस परिणाम दे पाएगा। भारत पहले भी इस क्षेत्र में शांति मिशन, पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभा चुका है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कीर्तिवर्धन सिंह के नेतृत्व में भारत इस बार क्या नई दिशा प्रस्तुत करता है।


