लखनऊ| उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा ईंधन अधिभार शुल्क को लेकर जारी नए आदेश से प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को आंशिक राहत मिली है। आदेश के अनुसार अक्टूबर माह के ईंधन अधिभार का समायोजन जनवरी 2026 में किया जाएगा, जिसमें सभी उपभोक्ताओं को 2.33 प्रतिशत का रिबेट मिलेगा। इसके चलते जनवरी माह में बिजली दरें एक महीने के लिए सस्ती रहेंगी और प्रदेशभर के उपभोक्ताओं को करीब 141 करोड़ रुपये का सीधा लाभ होगा।
हालांकि इससे पहले सितंबर माह का ईंधन अधिभार दिसंबर में 5.56 प्रतिशत की दर से वसूला गया था, जिससे उपभोक्ताओं पर लगभग 264 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस बिजली कंपनियों के पास जमा है। इसके अलावा चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 18,592 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सरप्लस और बनने की संभावना है। इस तरह कुल मिलाकर 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक का सरप्लस बिजली कंपनियों के पास मौजूद है।
उन्होंने मांग की कि जब उपभोक्ताओं का इतना बड़ा सरप्लस उपलब्ध है, तो ईंधन अधिभार शुल्क के नाम पर वसूली पूरी तरह रोकी जाए और आवश्यक समायोजन इसी सरप्लस से किया जाए। उनका कहना है कि ट्रांसमिशन डिमांड बेस्ड टैरिफ और नई बिजली दरें लागू हो चुकी हैं, ऐसे में आने वाले महीनों में ईंधन अधिभार में और कमी की संभावना बनी हुई है।
इधर, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने संविदा कर्मियों की छंटनी और रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर हजारों पद समाप्त किए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है। समिति का कहना है कि बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों को हटाने से प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतर सकती है। आरोप लगाया गया कि रिस्ट्रक्चरिंग के पीछे कई शहरों की बिजली व्यवस्था फ्रेंचाइजी को सौंपने की मंशा है, जबकि आगरा में फ्रेंचाइजी मॉडल पहले ही विफल साबित हो चुका है।
संघर्ष समिति के अनुसार मई 2017 में जारी पावर कॉरपोरेशन के आदेश में संविदा कर्मियों की तैनाती के स्पष्ट मापदंड तय हैं, लेकिन नए टेंडरों में इनका उल्लंघन करते हुए 27 से 45 प्रतिशत तक छंटनी की जा रही है। साथ ही लखनऊ, मेरठ, अलीगढ़, बरेली और नोएडा में वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के जरिए हजारों नियमित पद समाप्त कर दिए गए हैं, जिससे बिजली व्यवस्था में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई है। बिजली कर्मियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में जनसंपर्क अभियान और आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।





