Independence Day 15 अगस्त 1947 का दिन भारत (India) के इतिहास में केवल राजनीतिक मुक्ति का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उस जागृति का क्षण है जब समाज में स्वाभिमान, न्याय और समानता की नई आशाएँ पल्लवित हुईं। यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की उस कल्पना से जोड़ता है, जिसमें उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध, समान और सशक्त राष्ट्र का सपना देखा था। स्वतंत्रता दिवस आज केवल अतीत का स्मरण नहीं है, बल्कि वर्तमान की चुनौतियों और भविष्य के लक्ष्यों पर विचार करने का अवसर है।
2025 में भारत आर्थिक दृष्टि से तेज़ी से उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2025 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जो इसे विश्व की सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है। हालांकि दूसरी तिमाही में यह वृद्धि घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई, जिसे अल्पकालिक रुकावट माना जा रहा है। घरेलू बचत दर घटकर 5.3 प्रतिशत रह जाने से भविष्य के निवेश पर असर की संभावना है, लेकिन राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन जैसी योजनाएँ अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दे रही हैं। जुलाई 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 1.55 प्रतिशत पर आ गई, जो 2019 के बाद सबसे कम है, हालांकि विशेषज्ञ इसे अस्थायी मानते हैं।
वैश्विक व्यापार में चुनौतियाँ भी सामने हैं। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं जैसे आभूषण और वस्त्रों पर शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे GDP पर असर पड़ सकता है। फिर भी, निवेशकों की दृष्टि में भारत की स्थिति मज़बूत हुई है और 2024 में यह निवेश के लिए शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है।
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 के तहत लाखों गाँवों और संस्थानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार हो रहा है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में भारत की महत्वाकांक्षा स्पष्ट है—सरकार ने AI के लिए हज़ारों करोड़ रुपये का बजट रखा है, और कंपनियाँ वैश्विक औसत से कहीं अधिक गति से AI अपना रही हैं। अंतरिक्ष में ISRO ने कई सफल मिशन पूरे किए हैं और आगे गगनयान तथा चंद्रयान-4 जैसे महत्वाकांक्षी प्रयास जारी हैं।
सतत विकास की दिशा में भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और 2030 तक 500 गीगावाट क्षमता का लक्ष्य रखा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए मिशन लाइफ़ जैसी पहलें जारी हैं, लेकिन जल संकट गंभीर चुनौती बन चुका है।
सामाजिक स्तर पर असमानता अब भी बड़ी समस्या है—देश की कुल संपत्ति का बड़ा हिस्सा शीर्ष एक प्रतिशत के पास है, जबकि मानव विकास सूचकांक और भूख सूचकांक में भारत की रैंकिंग अभी भी पीछे है। इन परिस्थितियों में स्वतंत्रता दिवस केवल राष्ट्रीय ध्वज फहराने और भाषणों का दिन नहीं होना चाहिए। यह वह क्षण है जब हमें ठहरकर सोचना होगा कि हमने कितनी प्रगति की है, किन क्षेत्रों में अब भी कमज़ोरी है, और आने वाले वर्षों में हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है।
स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ तभी पूरा होगा जब तकनीकी प्रगति, आर्थिक विकास और सामाजिक समानता मिलकर हर नागरिक के जीवन को बेहतर बनाएँ। 2025 का भारत अवसरों और उत्साह से भरा है, पर चुनौतियाँ भी उतनी ही गहरी हैं। आज हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को केवल इतिहास की किताबों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के जीवन में उतारेंगे—ताकि स्वतंत्रता का गौरव हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान बनकर चमके।