मेरठ: मेरठ (Meerut) में एक और मामला सामने आया है जिसने स्वास्थ्य तंत्र की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक निजी अस्पताल (private hospitals) में इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने लापरवाही और पैसों के लालच में बच्चे की जान ले ली।
जानकारी के अनुसार, शहर के एक मोहल्ले में रहने वाले दंपती का 9 वर्षीय बेटा बुखार से पीड़ित था। उसे इलाज के लिए परिजन पास के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले गए। रात तक डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा खतरे से बाहर है और सब ठीक है। लेकिन सुबह जब परिवार ने हालचाल पूछा तो उन्हें बताया गया कि बच्चा मर चुका है।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने पूरी रात बच्चे को बिना किसी वरिष्ठ डॉक्टर के देखरेख में रखा और सिर्फ पैसे वसूलने के लिए बार-बार टेस्ट कराते रहे। मृतक के पिता ने कहा, “हमने सोचा बच्चे की हालत सुधर रही है, लेकिन सुबह कहा गया कि अब कुछ नहीं बचा। हमें विश्वास नहीं हुआ।” इस घटना के बाद अस्पताल के बाहर हंगामा मच गया। स्थानीय लोगों ने भी निजी अस्पतालों की मनमानी पर गुस्सा जाहिर किया।
शहर के सामाजिक संगठनों ने कहा कि मेरठ समेत पूरे पश्चिमी यूपी में निजी अस्पताल पैसे कमाने का धंधा बन गए हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में इलाज के नाम पर लापरवाही का बोलबाला है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने कहा कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अगर लापरवाही साबित हुई तो अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाएगा।


