रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड (Jharkhand) और पश्चिम बंगाल में फैले अवैध कोयला कारोबार (illegal coal syndicate) पर अपनी कार्रवाई तेज कर दी है और 21 नवंबर को 44 ठिकानों पर समन्वित तलाशी अभियान चलाया। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 17 के तहत बड़े पैमाने पर की गई छापेमारी में कथित तौर पर कोयले के अवैध खनन, चोरी, परिवहन, भंडारण और बिक्री में शामिल एक संगठित नेटवर्क को निशाना बनाया गया।
जिन 44 ठिकानों की तलाशी ली गई, उनमें से 20 झारखंड में थे, खासकर धनबाद और दुमका में, जिन्हें अवैध कोयला गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। ये ठिकाने कोयला सिंडिकेट के प्रमुख संचालकों, लाल बहादुर सिंह, अनिल गोयल, संजय खेमका, अमर मंडल, के साथ-साथ उनकी कंपनियों, फर्जी संस्थाओं और उनसे जुड़े लोगों से जुड़े थे। शेष 24 परिसर पश्चिम बंगाल में स्थित थे।
तलाशी के दौरान, ईडी ने 14 करोड़ रुपये से अधिक नकद और आभूषणों के साथ-साथ बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद किए। इनमें संदिग्ध कोयला रैकेट से जुड़े संपत्ति के दस्तावेज, भूमि बिक्री समझौते, डिजिटल उपकरण और जाँच के दायरे में आने वाले व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के बहीखाते शामिल थे।
अवैध नकदी संग्रह और लाभार्थियों की सूची के विस्तृत रिकॉर्ड वाली कई डायरियाँ और रजिस्टर भी ज़ब्त किए गए, जिससे एक बड़े और संगठित आपराधिक नेटवर्क के सबूत मज़बूत हुए। ईडी की जाँच झारखंड और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों पर आधारित है, जिनमें राज्यों के बीच लगातार अवैध कोयला तस्करी का उल्लेख है।
ये प्राथमिकियाँ एक व्यापक सिंडिकेट के अस्तित्व का संकेत देती हैं जो बिना वैध परिवहन परमिट या दस्तावेज़ों के झारखंड से पश्चिम बंगाल में कोयले की आपूर्ति कर रहा है। तलाशी के दौरान बरामद साक्ष्यों ने इन आरोपों की पुष्टि की है और इन अभियानों को अंजाम देने में स्थानीय अधिकारियों की संलिप्तता को और उजागर किया है।
अधिकारियों के अनुसार, यह सिंडिकेट पश्चिम बंगाल-झारखंड सीमा पर अत्यधिक सक्रिय रहा है और अनधिकृत खनन और परिवहन के माध्यम से बड़ी मात्रा में अवैध आय अर्जित कर रहा है। इन ज़ब्ती से कोयले की हेराफेरी के पैमाने का पता चला है। पश्चिम बंगाल में तीन कोक संयंत्रों पर छापेमारी में लगभग 7.9 लाख मीट्रिक टन अवैध रूप से संग्रहीत कोयला और एग्रीगेट्स का पता चला है।
सीआरपीएफ कर्मियों के सहयोग से 100 से अधिक प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों ने दोनों राज्यों में सावधानीपूर्वक नियोजित इस अभियान में भाग लिया। एजेंसी का मानना है कि बरामद दस्तावेज़ धन के स्रोत का पता लगाने और अवैध कोयला व्यापार से जुड़े अन्य लाभार्थियों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


