भीषण गर्मी में मुनाफा कमाने की होड़ में नियमों को किया गया दरकिनार
दर्जनों स्विमिंग पूल संचालित हो रहे बगैर सरकारी मंजूरी के; जिलाधिकारी ने जताई सख्त नाराजगी
फर्रुखाबाद। गर्मी के मौसम में जहां लोग राहत पाने के लिए स्विमिंग पूल का रुख कर रहे हैं, वहीं जिले में इन पूलों का संचालन खुद एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। बिना सरकारी अनुमति, बिना सुरक्षा उपायों और बिना स्वच्छता मानकों के संचालित हो रहे ये स्विमिंग पूल आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। अब इस मामले में जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने गंभीर संज्ञान लेते हुए चिंता जताई है और स्पष्ट संकेत दिए हैं कि जल्द ही इस दिशा में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिले में कई स्थानों पर स्विमिंग पूल निजी मकानों, स्कूल परिसरों, लॉज व फार्म हाउस में बनाए गए हैं। इनमें से अधिकतर पूल न तो नगर निकाय या स्वास्थ्य विभाग से पंजीकृत हैं, न ही किसी विभाग को इसके संचालन की जानकारी दी गई है। यह भी सामने आया है कि इन पूलों में बच्चों व किशोरों से प्रवेश शुल्क वसूला जा रहा है, जबकि बुनियादी सुविधाएं जैसे–लाइफगार्ड,प्राथमिक उपचार किट,जल की गुणवत्ता जांच,अलग चेंजिंग ज़ोन,आपातकालीन निकास व्यवस्थापूरी तरह नदारद हैं।
स्वास्थ्य विभाग और नगर निकाय के अनौपचारिक आंकड़ों के अनुसार, फर्रुखाबाद जिले में लगभग 30 स्विमिंग पूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से एक दो पूल ही वैध रूप से पंजीकृत हैं। बाकी 26 पूलों के पास न कोई लाइसेंस है, न ही वे किसी सरकारी शुल्क का भुगतान कर रहे हैं। यह सीधे तौर पर राजस्व हानि और जन सुरक्षा उल्लंघन का मामला है।
जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जन शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से स्थिति की रिपोर्ट मांगी है। उनका कहना है कि स्विमिंग पूल जैसे सार्वजनिक स्थल पर बिना किसी मान्यता और सुरक्षा व्यवस्था के संचालन न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि यह आमजन के जीवन के लिए गंभीर खतरा भी है।
“जनहित के नाम पर कोई भी अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि स्विमिंग पूलों की जांच में अनियमितता पाई जाती है तो संचालकों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
— आशुतोष कुमार द्विवेदी जिलाधिकारी, फर्रुखाबाद
पिछले दो वर्षों में जिले के अलग-अलग स्थानों पर और गंगा नदी समेत विभिन्न स्थानों पर बच्चों और युवाओं की डूबकर मौत की घटनाएं हो चुकी हैं। बावजूद इसके, सुरक्षा उपायों को लेकर लापरवाही जारी है। इस लापरवाही का शिकार फिर कोई मासूम न हो, इसके लिए प्रशासन को समय रहते ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार, किसी भी स्विमिंग पूल को संचालित करने के लिए कई अनुमतियाँ और व्यवस्थाएं अनिवार्य हैं: लेकिन जिले में नगर निकाय/नगर पालिका या जिला पंचायत की अनुमति सहित फायर सेफ्टी एनओसी नहीं ली जाती। स्वास्थ्य विभाग से स्वच्छता प्रमाण पत्र भी नहीं लिया जाता।लाइसेंस प्राप्त प्रशिक्षित लाइफगार्ड भी नहीं,जल गुणवत्ता की नियमित जांच रिपोर्ट भी नहीं होती,आपातकालीन उपचार व्यवस्था भी नहीं ,और CCTV निगरानी भी नहीं।जनता की मांग है कि– “कार्रवाई हो, लापरवाही बंद हो”।
स्थानीय नागरिकों व अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि सभी अवैध स्विमिंग पूलों की तुरंत पहचान कर, या तो उन्हें बंद कराया जाए या नियमानुसार संचालित करने की बाध्यता तय की जाए। खास तौर पर गर्मी की छुट्टियों में इन पूलों में बच्चों की भीड़ उमड़ती है, जो गंभीर खतरे को जन्म दे सकती है।
स्विमिंग पूलों की आड़ में मुनाफा कमाने का यह अवैध और असुरक्षित सिलसिला यदि समय रहते नहीं रोका गया, तो यह किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। जिलाधिकारी द्वारा लिया गया संज्ञान इस दिशा में एक सकारात्मक शुरुआत है, लेकिन वास्तविक सुधार तभी संभव होगा जब जांच, निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई में तेजी लाई जाए।