प्रयागराजl इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में अमेठी से कांग्रेस सांसद किशोरी लाल शर्मा को उनके सांसद पद के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए एक महत्वपूर्ण अधिकार पृच्छा याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका ने राजनीतिक हलकों से लेकर कानूनी बिरादरी तक खासी चर्चा पैदा कर दी है। अदालत ने इस याचिका पर प्रारंभिक विचार करते हुए मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि कोर्ट इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है।
न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता शकील अहमद खान द्वारा दायर याचिका को सुनते हुए यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2012 में रायबरेली के कोतवाली थाना क्षेत्र में सांसद किशोरी लाल शर्मा के खिलाफ दर्ज राष्ट्रीय ध्वज अपमान से जुड़े प्रकरण और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं में की गई एफआईआर का हवाला दिया है।
याचिका में कहा गया है कि चुनाव के दौरान दाखिल किए गए नामांकन के शपथ पत्र में सांसद किशोरी लाल शर्मा ने इस एफआईआर का विवरण उल्लेख नहीं किया। याचिकाकर्ता का तर्क है कि नामांकन पत्र में सभी लंबित मामलों की जानकारी देना उम्मीदवार की कानूनी जिम्मेदारी होती है। तथ्यों को छिपाना ‘गंभीर दुराचार’ की श्रेणी में आता है और इस कारण वह सांसद पद पर बने रहने के योग्य नहीं हैं।
इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी है कि मतदाताओं के समक्ष किसी भी आपराधिक प्रकरण की जानकारी छिपाना न केवल जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के भी विपरीत है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह मामला संसद सदस्यता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है और राजनीतिक हलचल भी बढ़ सकती है।
अब अगले सप्ताह होने वाली सुनवाई में कोर्ट यह तय करेगा कि क्या इस मामले में विस्तृत जांच की आवश्यकता है और क्या सांसद किशोरी लाल शर्मा के पद पर बने रहने पर कोई कानूनी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। फिलहाल, इस याचिका ने अमेठी से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक हलचल मचा दी है और सभी की निगाहें हाईकोर्ट की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं।





