वास्तविकता में, सही कार्रवाई न कर आला अफसरों को भ्रमित करने में माहिर फतेहगढ़ पुलिस
फर्रुखाबाद। जनपद की पुलिस ने जनवरी 2025 में आइजीआरएस (इंटीग्रेटेड गवर्नेंस रिफॉर्म्स सिस्टम) में प्रदेश स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया है, लेकिन इस सफलता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस ने फर्जी आंकड़ों के आधार पर यह सफलता हासिल की है, और असल में शिकायतों के सही तरीके से निस्तारण की बजाय उन्हें विशेष बंद कर दिया गया।
पुलिस अधीक्षक फतेहगढ़ आलोक प्रियदर्शी के मार्गदर्शन में जनपद पुलिस ने जो उपलब्धि प्राप्त की है, उसका दावा किया गया है कि शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण किया गया और सभी थानों ने सर्वोच्च स्थान हासिल किया। लेकिन वास्तविकता यह है कि जब शिकायतकर्ता असंतुष्ट होते हैं, तो जांच को दबा दिया जाता है और मामलों को हल्के में लिया जाता है।
सूत्रों की माने तो कई बार अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को नजरअंदाज किया और शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट करने के बजाय फर्जी तरीके से मामलों को निपटाने का प्रयास किया। इसके बाद, जब जांच में कोई निष्कर्ष नहीं निकलता, तो आला अफसरों को भ्रमित किया जाता है कि कार्रवाई हो रही है, जबकि वास्तविकता इससे कहीं अलग होती है।
कई स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि जनपद पुलिस मामलों में पारदर्शिता नहीं दिखाती और गलत तरीके से आंकड़े जुटाकर प्रशासनिक स्तर पर अपने काम का श्रेय लेती है। यह बात इस सफलता को लेकर उठ रहे सवालों को और मजबूत करती है।
इस मामले को लेकर जनपद के कई नागरिकों ने भी अपनी असंतुष्टि जाहिर की है और वे पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी निगरानी की मांग कर रहे हैं।