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Wednesday, July 16, 2025

देवशयनी एकादशी पर ‘बृज की रसोई’ का मानवीय प्रयास

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इंडियन हेल्पलाइन सोसाइटी ने सैकड़ों जरूरतमंदों को बाँटा नि:शुल्क पौष्टिक भोजन, बच्चों को किताबें और खिलौने भी दिए गए

लखनऊ: जहां एक ओर देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) व्रत, भक्ति और धर्म-कर्म का पर्व माना जाता है, वहीं इंडियन हेल्पलाइन सोसाइटी (रजि.) की पहल ‘बृज की रसोई’ (Brij ki Rasoi) ने इस अवसर को ज़रूरतमंदों की सेवा का माध्यम बना दिया। संस्था ने लखनऊ के आशियाना क्षेत्र की मलिन बस्तियों, झुग्गी-झोपड़ियों और श्रमिक परिवारों को नि:शुल्क भोजन वितरित कर मानवता की मिसाल पेश की।

संस्थापक विपिन शर्मा ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर अन्न, जल और फलों का दान अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इसी सोच के साथ बृज की रसोई ने गरीब और भूखे लोगों को सम्मानपूर्वक पौष्टिक भोजन देने का संकल्प लिया और उसे जमीन पर उतारा। मीडिया प्रभारी दीपक भुटियानी ने बताया कि यह सेवा अभियान आशियाना के सेक्टर-एम रिक्शा कॉलोनी, रतन खंड, अंबेडकर विश्वविद्यालय के पास की झुग्गियों, निर्माणाधीन शिक्षण संस्थानों में रह रहे श्रमिकों, जोन-8 की मलिन बस्तियों और रतनखंड पानी टंकी क्षेत्र में चलाया गया।

राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष रजनी शुक्ला ने बताया कि सेवा कार्य पूरी व्यवस्था, अनुशासन और समर्पण से संचालित किया गया। विकास पाण्डेय ने बताया कि इस अभियान में दीपक भुटियानी, संजय श्रीवास्तव, उमाशंकर, आशीष श्रीवास्तव, अनुराग दुबे, सूरज पाण्डेय, मुकेश कनौजिया, नवल सिंह, गीता प्रजापति, सहित कई युवा स्वयंसेवकों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

आशीष श्रीवास्तव ने कहा, “हर स्थान पर बच्चों की मुस्कान, महिलाओं की दुआएं और बुज़ुर्गों का आशीर्वाद इस सेवा की सफलता का प्रमाण बन गया।” अनुराग दुबे ने बताया कि बच्चों को स्वादिष्ट भोजन के साथ सब्जी, चावल, फल, खिलौने, कॉपी और किताबें भी दी गईं। गीता प्रजापति ने कहा कि “बृज की रसोई सिर्फ पेट भरने का नहीं, बल्कि आत्मसम्मान से भोजन देने का अभियान है।”

संजय श्रीवास्तव ने बताया कि सेवा अभियान हर रविवार को जारी रहेगा। इच्छुक लोग QR कोड के माध्यम से दान कर सकते हैं, जिस पर 80G आयकर छूट भी मान्य है।

 

“सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है” – इस मूल मंत्र के साथ बृज की रसोई आज भी उन लोगों के लिए आशा की किरण बनी हुई है, जिनके लिए एक वक़्त का भोजन भी चुनौती है।

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