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Wednesday, March 12, 2025

कब तक कचरे के ढेर में आहार तलाशेंगे गौवंश, जिम्मेदार चट कर जाते हैं बजट

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– नगर पालिका क्षेत्र में 55 स्थानों पर गोवंश कूड़े में भोजन तलाशने को मजबूर

– लाखों का बजट ठिकाने लगा रहे जिम्मेदार, यूथ इंडिया का रियलिटी चेक

हृदेश कुमार

फर्रुखाबाद, यूथ इंडिया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गौवंश (Cattle) संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। नगर पालिका परिषद फर्रुखाबाद के अंतर्गत आने वाले कई इलाकों में गोवंश कूड़े के ढेर में भोजन तलाशने को मजबूर हैं। सरकार द्वारा गोशालाओं के निर्माण, देखरेख और चारा-पानी की व्यवस्था के लिए लाखों का बजट जारी किया जाता है, लेकिन यह पैसा कहां जाता है, इसका जवाब कोई देने को तैयार नहीं।

यूथ इंडिया की टीम ने लाल गेट से लेकर बीबीगंज और कादरी गेट तक रियलिटी चेक किया, जिसमें यह सामने आया कि नगर क्षेत्र के 55 से अधिक स्थानों पर गोवंश कूड़े के ढेर में भोजन की तलाश कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि इन बेसहारा जानवरों के लिए प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। जब मीडिया इस मुद्दे को उठाती है, तो कुछ दिनों तक अभियान चलाया जाता है, लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

गोवंश जिन स्थानों पर कूड़े में भोजन तलाशते देखे गए उनमें लाल गेट तिराहा, लाल सराय, कोतवाली मोड़,सिटी गर्ल्स मोड़,सर्राफा बाजार मध्य,चौक बाजार,राम रतन बुक सेलर के पास,सदर विधायक आवास चौराहा,तिकोना शराब ठेका व तिकोना तिराहा, पुरानी सब्जी मंडी तिकोना,सदर तहसील गेट व तहसील तिराहा, मऊदरवाजा थाना मोड़,बालाजी हॉस्पिटल के पास,बीबीगंज शराब ठेका,बीबीगंज मंडी व तिराहा, कादरी गेट तिराहा,नरकसा तिराहा, कछियाना मोड़, लिंजीगंज गेट,सिविल अस्पताल गेट, साहबगंज चौराहा, एन.ए.के.पी. डिग्री कॉलेज के पास, नाला मच्छराठा, मस्जिद तिराहा शामिल हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, फर्रुखाबाद जिले में गौशालाओं के रखरखाव और गौवंश के चारे-पानी के लिए लाखों रुपये का बजट जारी किया जाता है। लेकिन हालात यह हैं कि गोवंश सड़कों पर कूड़े में से खाने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बजट का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है और गोवंश के लिए नाममात्र की व्यवस्था की जाती है।

रियलिटी चेक के दौरान यह भी सामने आया कि कूड़े में पड़ी प्लास्टिक और गंदगी खाने से कई गोवंश बीमार हो रहे हैं। बीते छह महीनों में लगभग 47 गोवंशों की मौत कचरा खाने से हुई है, जबकि 112 से अधिक बीमार हुए।
नगरपालिका अधिकारियों से जब इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो वे कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।

योगी सरकार ने गोवंश संरक्षण को लेकर कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। अगर प्रशासन ने जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में हालात और बदतर हो सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को संज्ञान में लेकर ठोस कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी कागजों में दबकर रह जाएगा।

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